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गुलबर्गा किला- एक बीते हुए युग का गौरव

कर्नाटक राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित गुलबर्गा किले को इस क्षेत्र के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास को प्रदर्शित करने के प्रवेश-द्वार के रूप में देखा जा सकता है। इस किले का परिसर दुनिया की सबसे लंबी तोप है और एक मस्जिद है जो कोर्डोबा,स्पेन, के प्रसिद्ध मस्जिद-कैथेड्रल से मिलती-जुलती है। यद्यपि किले का अधिकांश हिस्सा आज खंडहर में परिवर्तित हो चुका है, उसकी शेष संरचनाएँ शांत और आकर्षक हैं, और हमें दक्कन के आंतरिक युद्धों और संघर्षों से भरे अतीत की याद दिलाती हैं।

 Entrance to the Gulbarga fort

गुलबर्गा किले का प्रवेशद्वार

उत्पत्ति और इतिहास

माना जाता है कि इस किले की नींव 12वीं शताब्दी में वारंगल के काकतीयों के राजा गुलचंद द्वारा रखी गई थी। इसे आगामी वर्षों में बाद के शासकों द्वारा और विकसित किया गया था। 14वीं शताब्दी ई. तक गुलबर्गा का क्षेत्र दिल्ली सल्तनत के नियंत्रण में आ गया था। 14वीं शताब्दी ई. के मध्य में, सुल्तान मोहम्मद बिन तुग़लक के अधिकारीयों में से एक, ज़फर खान ने सुल्तान के खिलाफ़ विद्रोह किया, और बहमनी राजवंश के अधीन एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। उसने खुद को सुल्तान अलाउद्दीन बहमन शाह (1347-1358) का नाम दिया और गुलबर्गा को अपनी राजधानी के रूप में चुना। इसके बाद, पुराने किले को बहमनी राज्य का मुख्यालय बनाने हेतु उसमें सुधार लाए गए और उसे अधिक मज़बूत किया गया था।

 Fortifications at Gulbarga

गुलबर्गा किले की किलाबंदी

वास्तुकला

Deep moat of the fort

किले की गहरी खाई

गुलबर्गा किला एक सुनियोजित संरचना है और इसकी इमारतें और इसका अभिन्यास हमें दक्षिण भारत में भारतीय-फ़ारसी वास्तुकला के विकास के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। किले का क्षेत्रफल लगभग 0.5 एकड़ है और परिधि 3 किलोमीटर है। किले को बाहर की ओर से एक विस्तृत खाई द्वारा संरक्षित किया गया है, जिसमें कई उठाऊ पुल हैं। इसके अलावा हम यहाँ दोहरी किलाबंदी भी देख सकते हैं, जिसमें अंदर की दीवार बाहर की दीवार से ऊँची है। संरचना में लगभग 15 मीनारें और 26 बंदूकों से लैस अर्ध-वृत्ताकार बुर्ज भी शामिल हैं।

Jama Masjid

जामा मस्जिद

किले के परिसर में कई बड़ी इमारतें और प्रांगण शामिल हैं। अलाउद्दीन बहमन शाह ने किले के बीच में बाला हिसार नाम का मुख्य गढ़ बनवाया था। इस दुर्जेय संरचना की दीवारें लंबाई में 19 मीटर ऊँची हैं और इसमें छह गोलाकार मीनारें शामिल हैं। बाला हिसार को एक बुर्ज (किले के भीतरी गढ़) के रूप में बनाया गया था - एक ऐसी जगह जहाँ सेना, हमलावर बलों के खिलाफ़ एक अंतिम उपाय के रूप में, अपना बचाव करने के लिए शरण ले सकती थी। बताया जाता है कि गुलबर्गा किले का बाला हिसार ही भारत का एकमात्र ऐसा गढ़ है। अलाउद्दीन बहमन शाह ने किले के भीतर जामा मस्जिद का भी निर्माण भी कराया था। एक अभिलेख के अनुसार इस मस्जिद का निर्माण 1367 ई. में पूरा हुआ था। इस मस्जिद को रफ़ी नामक एक ईरानी वास्तुकार द्वारा डिज़ाइन किया गया था और इसका विन्यास कोर्डोबा, स्पेन, के ग्रेट मॉस्क़-कैथेड्रल से मिलता-जुलता है। इस मस्जिद की अनूठी विशेषताओं में से एक यह है कि इसका केंद्रीय क्षेत्र, जो आमतौर पर एक खुला आँगन होता है, कई छोटे गुंबदों से ढका हुआ है। मस्जिद की अधिकतर बाहरी दीवारों में खुली मेहराबें बनी हुई हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके मुख्य कक्ष पर एक ऊँचा गुंबद अलग से बनाया गया है और मस्जिद परिसर के भीतर कोई मीनारें भी नहीं हैं। माना जाता है कि बहमनीदों द्वारा ऐसी ढके हुए आँगन वाली मस्जिदें कहीं और नहीं बनाई गई थीं।

बड़ा गाज़ी तोप

The Bada Gazi Toph

बड़ा गाज़ी तोप

यहाँ की सबसे रोमांचक प्रदर्शित वस्तु शायद पंच धातु (पाँच धातुओं की मिश्र धातु) तोप है, जिसे बड़ा गाज़ी तोप कहा जाता है, जिसके लिए दुनिया की सबसे लंबी तोप होने का दावा भी किया जाता है। इसे 14वीं शताब्दी ई. में बहमनीद शासकों द्वारा यहाँ स्थापित किया गया था। 29 फ़ीट लंबी इस तोप की परिधि 7.6 फीट और व्यास 2 फ़ीट है। इसकी नाल 7 इंच मोटी है। इस मध्ययुगीन विशाल हथियार का वज़न 70-75 टन के बीच है। विशेषतः, यह तेलंगाना की जगदंबा भवानी तोप (जो कौलास किले में स्थित है) से लगभग 6 फ़ीट बड़ी है, और रूस की प्रसिद्ध ज़ार तोप की तुलना में कई फ़ीट लंबी है।

ख्वाजा बंदे नवाज़ की दरगाह

Shrine of Khwaja Bande Nawaz

ख्वाजा बंदे नवाज़ की दरगाह

गुलबर्गा शहर ख्वाजा बंदे नवाज़ के नाम से मशहूर, प्रसिद्ध सूफ़ी संत मोहम्मद गेसू दराज के अनुयायियों और शिष्यों के लिए भी एक पूजनीय स्थल है। तैमूर के दिल्ली पर आक्रमण के बाद, गेसू दराज ने 1398 ई. में दिल्ली छोड़ दी और 1413 ई. में गुलबर्गा आ गए थे। 1422 ई. में 101 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, और उसी वर्ष यहाँ उनकी कब्र का निर्माण किया गया था। इस दरगाह को अक्सर गुलबर्गा किले के विशाल और अंडाकार परिसर का एक हिस्सा माना जाता है। परिसर की अन्य संरचनाओं की तरह, गेसू दराज़ का मकबरा भी वास्तुकला की फ़ारसी और भारतीय शैलियों का एक सामंजस्यपूर्ण समामेलन है। यहाँ का वार्षिक उर्स (पुण्यतिथि) उत्सव हज़ारों भक्तों को आकर्षित करता है, चाहे वे किसी भी आस्था और धर्म से हों, और एकता और सद्भाव का संदेश फैलाता है।

बहमनीदों के बाद

बहमनी सुल्तान शिहाब अल-दीन अहमद प्रथम (1422–36 ई.) ने अपने राज्य राजधानी गुलबर्गा से बीदर विस्थापित की, क्योंकि वहाँ की ज़मीन अधिक उपजाऊ थी और एक बढ़ते साम्राज्य के हिसाब से केंद्र में स्थित था। बहमनी राजवंश ने 16वीं शताब्दी की शुरुआत तक इस क्षेत्र पर शासन किया, जिसके बाद यह पाँच अलग-अलग स्वतंत्र राज्यों- अहमदनगर, बेरार, बीदर, बीजापुर और गोलकुंडा- में विभाजित हो गया। गुलबर्गा का क्षेत्र आंशिक रूप से बीजापुर के अंतर्गत और आंशिक रूप से बीदर के अधीन आ गया। 16वीं शताब्दी ई. के उत्तरार्द्ध में, बीजापुर सल्तनत की राज्याधिकारी सुल्ताना चाँद बीबी ने गुलबर्गा किले में अन्य महत्वपूर्ण संरचनाओं, जैसे कि खंडार खान की मस्जिद और हीरापुर मस्जिद, की स्थापना की। 17वीं शताब्दी ई. में, दक्कन सल्तनतें मुग़ल साम्राज्य के अधीन हो गईं। औरंगज़ेब ने गुलबर्गा पर कब्ज़ा कर लिया और दरगाह के निकट एक महाविद्यालय, एक मस्जिद और एक सराय का निर्माण किया।

औरंगज़ेब ने इस क्षेत्र को अपने सूबेदारों की कमान में छोड़ दिया, लेकिन जैसे ही 18वीं शताब्दी में मुग़ल साम्राज्य का पतन शुरू हुआ, प्रांतीय सूबेदार अलग-अलग हो गए। निज़ाम-उल-मुल्क असफ़ जाह प्रथम ने 18वीं शताब्दी के शुरुआती भाग में इस क्षेत्र पर शासन किया, और जैसे ही मुग़ल साम्राज्य कमज़ोर हुआ, उन्होंने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी। नतीजतन, हैदराबाद राज्य का जन्म हुआ। 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने दक्कन में सत्ता हासिल की, तो हैदराबाद के निज़ामों ने उसके प्रभुत्व को स्वीकार कर लिया। स्वतंत्रता के बाद, हैदराबाद राज्य को 1948 में भारतीय संघ में मिला दिया गया था। आज, यह प्रतिष्ठित गुलबर्गा किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल है।

गुलबर्गा किला और उसके भीतर की संरचनाएँ वास्तव में विस्मय-प्रेरक हैं और ऐतिहासिक राजवंशों के उदय और पतन का प्रतीक हैं।

The Gulbarga fort: an old yet awe-inspiring structure

गुलबर्गा किला: एक प्राचीन तथापि विस्मय-प्रेरक संरचना