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आगरे का आकर्षक किला

आगरा शहर में यमुना नदी के तट पर स्थित आगरे का किला, लाल बलुआ पत्थरों से बनी एक भव्य संरचना है। इस शहर को मुगल सम्राट अकबर ने अपनी राजधानी के रूप में चुना था और इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने एक मज़बूत गढ़ का निर्माण किया था। 16वीं शताब्दी ई. में निर्मित यह किला, मुगलों के वैभव, उनकी प्रतिष्ठा और पराक्रम का प्रतीक था, जो लगभग दो शताब्दियों तक उनकी सत्ता का केंद्र रहा।

A general view of the Agra Fort. Image Source: Wikimedia Commons

आगरा किले का एक सामान्य दृश्य। छवि स्रोत- विकिमीडिया कॉमन्स

व्युत्पत्ति

जिस भव्य संरचना को हम आज देखते हैं, वह मुगलों द्वारा बनवाई गई थी, जिन्होंने आगरा शहर को अपने मूल गढ़ों में से एक के रूप में विकसित किया था। यह स्मारक दो कारणों से निर्मित किया गया था - पहला, एक सैन्य गढ़ के रूप में और दूसरा, सम्राटों के लिए एक शाही निवास के रूप में। आगरा के विकास से पहले, दिल्ली उत्तर-भारत पर शासन करने वाले विभिन्न राजवंशों की राजधानी हुआ करती थी। 1505 ई. में, सिकंदर लोदी ने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थानांतरित किया। ऐसा प्रतीत होता है कि आगरा में एक संरचना पहले से मौजूद थी, जिसे सिकंदर लोदी ने विकसित किया और उसकी किलाबंदी करवाई। उनके उत्तराधिकारी इब्राहिम लोदी के शासन में भी आगरा राजधानी बनी रही। पहले मुगल सम्राट, बाबर ने आगरा पर विजय प्राप्त करके इसे भारत की मुगल रियासतों की राजधानी बनाया। ऐसा माना जाता है कि जब इब्राहिम लोदी की हार के बाद बाबर के बेटे हुमायूँ आगरा पहुँचे, तब उन्होंने एक विशाल खज़ाने को ज़ब्त किया, जिसमें प्रसिद्ध "कोह-ए-नूर" हीरा भी शामिल था। अपने संक्षिप्त शासन में सूर वंश के शेर शाह ने भी हिंदुस्तान के सुल्तान के रूप में आगरा पर कब्ज़ा करके वहाँ अपने सैन्य गढ़ स्थापित किए थे।

A painting of the Agra Fort by the river Yamuna, William Hodges, 1786 CE. Image Source: Wikimedia Commons

यमुना नदी के किनारे आगरा किले की एक चित्रकारी, विलियम हॉजिज़, 1786 ई. छवि स्रोत - विकिमीडिया कॉमन्स

1558 ई. में जब मुगल सम्राट अकबर आगरा पहुँचे, तब उन्होंने इस शहर के रणनीतिक महत्व को समझा। उन्होंने लाल पत्थरों से मौजूदा किले के नवीनीकरण का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप आगरा के शानदार किले का निर्माण हुआ। अकबर के शासनकाल के आधिकारिक इतिहासकार, अबुल फ़ज़ल ने किले के निर्माण का एक विस्तृत वृत्तांत लिखा है। वे लिखते हैं कि किले के परिसर के अंदर की इमारतों को सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय शैलियों में बनाया गया था, जिनमें ग्वालियर, बंगाल, गुजरात और राजस्थान की वास्तुशिल्पीय शैलियों का प्रभाव देखा जा सकता था। उन्होंने यह भी लिखा है कि किले के निर्माण में लगभग 8 साल लगे थे, जिसके निरीक्षण की ज़िम्मेदारी मुहम्मद कासिम खान की थी।

Ramparts of the Agra Fort. Image Source: Wikimedia Commons

आगरा किले की दीवारें। छवि स्रोत - विकिमीडिया कॉमन्स

वास्तुकला

किले में रहने वाले मुगल बादशाहों की विभिन्न पीढ़ियों ने इस किले की विविध वास्तुशिल्पीय शैलियों को अपने-अपने तरीके से प्रभावित किया। आगरे का किला आलंकारिक सौंदर्य के साथ-साथ मज़बूती का एक प्रभावशाली मेल दर्शाता है, जो इसके प्रारंभिक निर्माता अकबर के शासनकाल का एक उपयुक्त प्रतीक है। अकबर के शासनकाल में निर्मित इमारतें, वास्तुकला के हिंदू और इस्लामी तत्वों के मैत्रीपूर्ण मेल के साथ-साथ लाल बलुआ पत्थरों के विस्तृत उपयोग के लिए उल्लेखनीय थीं।

आगरे के किले का निर्माण आक्रमण और किलाबंदी के एक ऐसे काल में किया गया था, जब सत्ता का बल भव्य महलों और किलों से मापा जाता था। मुगल वैभव का मूर्त रूप, यह शानदार किला परिसर 94 एकड़ के क्षेत्र में फैला है और शहर के भीतर एक दूसरे शहर जैसा लगता है। किले के चारों ओर एक मज़बूत दुर्ग है और नियमित अंतराल पर विस्तृत विशाल चक्राकार गढ़ों वाली दोहरी दीवारें भी मौजूद हैं। किले का नक्शा यमुना नदी की दिशा के अनुसार निर्धारित किया गया है, जो उस समय किले के निकट बहती थी। किला अर्धचंद्राकार है, जहाँ एक लंबी और लगभग सीधी दीवार नदी के पूर्व की ओर मुख किए हुए है। किले की बाहरी दीवार, तीन तरफ़ से एक चौड़ी और गहरे खंदक से घिरी हुई है।

आगरा के किले के चार मुख्य द्वार हैं- खिज़री दरवाज़ा, अमर सिंह दरवाज़ा, दिल्ली दरवाज़ा और गज़नी दरवाज़ा। वर्त्तमान में केवल अमर सिंह दरवाज़ा ही आम जनता के लिए खुला है। पहले दिल्ली दरवाज़े के सामने दीवारों से घिरा एक प्रांगण हुआ करता था, जो त्रिपोलिया, या तीन दरवाज़ों के नाम से प्रसिद्ध था। इसका एक बाज़ार के रूप में उपयोग किया जाता था। 1875 ई. में सैन्य प्रशासन ने इस क्षेत्र को खाली करवा दिया था।

The Amar Singh Gate, From a Collection of Postcards by Walter George Whitman, 1920s. Image Source: Flickr

अमर सिंह दरवाज़ा, वाल्टर जॉर्ज व्हिटमैन के एक पोस्टकार्ड संग्रह से, 1920 का दशक। छवि स्रोत - फ़्लिकर

अकबर ने अपने बेटे जहाँगीर के लिए, जहाँगीरी महल का निर्माण एक निजी महल के रूप में करवाया था। ऐसा माना जाता है कि यह सबसे पुराने मौजूदा मुगल महलों में से एक है। यह इस किले के परिसर की सबसे बड़ी आवासीय संरचना है, जो ज़नाना या शाही महिलाओं के निवास-स्थान के रूप में भी इस्तेमाल की जाती थी। यह लाल पत्थर से बना एक बड़ा वर्गाकार महल है, जिसका बाहरी सजावटी भाग एक खुले प्रांगण को चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा माना जाता है कि यह ग्वालियर किले के मान मंदिर महल से प्रेरित है।

1605 ई. में अकबर की मृत्यु के पश्चात्, जहाँगीर ने मुगलों की राजगद्दी संभाली। वे आगरा किले में "न्याय की ज़ंजीर" को स्थापित करने के लिए प्रसिद्ध हैं। यह ज़ंजीर आगरा किले से यमुना नदी के तट तक जाती थी और इसमें 60 घंटियाँ लगी थीं। 120 किलोग्राम सोने से बनी यह भव्य ज़ंजीर लगभग अस्सी फ़ीट लंबी थी। इसके पीछे का उद्देश्य यह था कि, कोई भी व्यक्ति, इस ज़ंजीर को हिला कर सम्राट के समक्ष न्याय की गुहार लगा सके।

Jahangiri Mahal. Image Source: Wikimedia Commons

जहाँगीरी महल। छवि स्रोत - विकिमीडिया कॉमन्स

जहाँगीर के उत्तराधिकारी शाहजहाँ ने 1628 ई. में आगरा की राजगद्दी संभाली। उन्होंने किले के अंदर की कई संरचनाओं को तुड़वाया जिससे वे अपने खुद के संगमरमर के स्मारकों का निर्माण करवा सकें। 1638 ई. में, उन्होंने मुगल राजधानी को आगरा से शाहजहाँनाबाद स्थानांतरित कर दिया। परंतु फिर भी आगरा एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और राजनीतिक केंद्र बना रहा। शाहजहाँ ने किले के परिसर के अंदर सफ़ेद संगमरमर की तीन मस्जिदों का निर्माण करवाया- मोती मस्जिद, नगीना मस्जिद और मीना मस्जिद। मोती मस्जिद किले के सबसे ऊँचे स्थान पर मौजूद है। मेहराब और प्रवेश-द्वार के साथ-साथ, मस्जिद के सामने का प्रांगण इसकी एक उल्लेखनीय विशेषता है। नगीना मस्जिद सफ़ेद संगमरमर से बनी है और इसमें एक उत्कृष्ट इबादतखाना (प्रार्थना-कक्ष) भी शामिल है। यह इबादतखाना भी संगमरमर से बना है और इसके ऊपर तीन गुंबद हैं। यह मस्जिद बादशाह के निजी इस्तेमाल के लिए बनाई गई थी। मीना मस्जिद एक साधारण इमारत है, जो चारों तरफ़ से ऊँची दीवारों से घिरी हुई है। इसके अग्रभाग में तीन छोटी मेहराबे हैं और इबादतखाने की पश्चिमी दीवार में भी एक छोटी मेहराब है। इस कक्ष की खिड़की से किले के परिसर की एक और महत्वपूर्ण इमारत दिखाई देती है- मच्छी भवन। शाहजहाँ के शासनकाल के सचित्र वृतांत, पदशाहनामा में इस संरचना को शाही आभूषणों एवं गहनों का राजकोष कहा गया है। इस संरचना के प्रांगण को क्रूर बर्बरता का सामना करना पड़ा, और परिणामस्वरूप इसके पूर्व वैभव का अंदाज़ा लगाना अब बहुत ही मुश्किल है। किसी समय में यह भवन, संगमरमर, फूलों की क्यारियों, पानी के नालों, झरनों और मछली के टैंकों से अलंकृत था। 1761 से 1774 ई. तक आगरा में जाटों के शासन के दौरान इन्हें डीग में स्थित सूरज मल के महल ले जाया गया था।

यहाँ की एक अन्य प्रमुख संरचना है, खास महल जिसके एक तरफ़ नदी और दूसरी तरफ़ अंगूरी बाग है। खास महल की दीवारों पर उत्कीर्ण एक फ़ारसी कविता इसके निर्माण का दिनांक 1636 ई. बताती है। खास महल के दक्षिण में एक सीढ़ी भूमिगत कक्षों की ओर लेकर जाती है, जिसका उपयोग सम्राट और उनका ज़नाना आगरा की भीषण गर्मी से बचने के लिए करते थे। खास महल के सामने का बड़ा चतुर्भुज, अंगूरी बाग है, जिसे अकबर ने अपने ज़नाने के लिए बनवाया था। अंगूरी बाग, मुगल बागों का एक विशिष्ट उदाहरण है, जिसमें केंद्रीय मंच और फ़व्वारे से बाहर की ओर निकलती चार ज्यामितीय फूलों की क्यारियाँ और सीढ़ीदार रास्ते हैं। माना जाता है कि 1857 के विद्रोह के दौरान, इन बागों पर अंग्रेज़ी अधिकारियों और किले के अंदर मौजूद उनके परिवारों ने कब्ज़ा कर लिया था। अंगूरी बाग के उत्तर की ओर शीश महल है। ऐसा माना जाता है कि यह शाही सजावट कक्ष और महिलाओं का स्नानागार था। यह हम्मामों में सजावटी जल अभियांत्रिकी के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। इसकी दीवारों और छतों पर छोटे-छोटे शीशे लगे हैं। किले परिसर में शाहजहाँ द्वारा निर्मित दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास भी हैं। दीवान-ए-आम, या आम जनता का सभागार, स्तंभावलियों की तीन शृंखलाओं से बना है, जो मिलकर उसे एक खुले मंडप का रूप देती है। इसे लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है जिनके ऊपर चिकनाए हुए बारीक सफ़ेद स्टको से पलस्तर किया गया है। दीवान-ए-आम के ठीक सामने एक बड़े पत्थर के एक ही खंड से बना हुआ कुंड है। इस संरचना के अंदर और बाहर सीढ़ियाँ हैं, और यह जहाँगीर हौज़ के नाम से प्रसिद्ध है। हौज़ के बाहरी किनारे के चारों ओर एक फ़ारसी अभिलेख है, जिसमें यह लिखा है कि इसे जहाँगीर के लिए बनवाया गया था। दीवान-ए-खास का निर्माण 1637 ई. में किया गया था। संगमरमर के मंडपों पर अलंकृत विस्तृत सजावटी रचनाएँ फ़ारसी कला से प्रेरित हैं। भराई के काम से बने और पुष्पीय पैटर्नों से तराशे गए डैडो या किनारे, संरचना की सुंदरता को और बढ़ाते हैं।

दीवान-ए-खास के सामने दो सिंहासन हैं, एक सफ़ेद संगमरमर से निर्मित, जो मच्छी भवन की ओर है, और दूसरा नदी के किनारे। सलीमगढ़ के नाम से ज्ञात एक महल (इसे दिल्ली में लाल किले के बगल में स्थित सलीमगढ़ किले के साथ भ्रमित न किया जाए) कभी दीवान-ए-आम के आँगन के पीछे की एक ऊँची ज़मीन पर खड़ा हुआ करता था। माना जाता है कि यह संरचना जहाँगीर द्वारा बनवाई गई थी (जिन्हें उनके राज्याभिषेक से पहले राजकुमार सलीम के नाम से जाना जाता था), जो सम्राट के लिए एक संगीत-कक्ष का काम करती था। सलीमगढ़ का एकमात्र अवशेष आज बैरक के सामने एक बड़ा दो-मंज़िला मंडप है। किले की एक अन्य प्रमुख संरचना है मुसम्मन बुर्ज जो एक अष्टकोणीय, बहुमंज़िला मीनार है । कहा जाता है कि यह मीनार, जो यमुना नदी की तरफ़ देखती है, ताज महल के सबसे मार्मिक दृश्यों में से एक है। कथाओं के अनुसार, यहीं पर शाहजहाँ को उनके बेटे औरंगज़ेब ने आठ साल तक उनकी मृत्यु होने तक कैद किया था।

Musamman Burj and the Taj Mahal at a distance. Image Source: Flickr

मुसम्मन बुर्ज और कुछ ही दूरी पर ताज महल। चित्र स्रोत - फ़्लिकर

मुगल सत्ता का पतन

शाहजहाँ की मृत्यु के बाद आगरे के किले का वैभव फीका पड़ने लगा। औरंगज़ेब, क्षेत्रीय संघर्षों और युद्धों में व्यस्त रहे, जिसके कारण उनके पास सौंदर्य और वास्तुकला संबंधित कार्यों के लिए समय नहीं था। 1707 ई. में औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद, 18वीं शताब्दी में आगरे का किला केवल घेराबंदी और लूट का गढ़ बनकर रह गया। लगभग एक दशक तक किले पर भरतपुर के जाटों का शासन रहा। 18 वीं शताब्दी की शुरुआत में, मराठों ने आक्रमण करके किले पर कब्ज़ा कर लिया। 1761 ई. में अहमद शाह अब्दाली ने उन्हें हराया। 1785 ई. में, महादजी शिंदे ने किले पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया। 1803 ई. के द्वितीय अंग्रेज़ी-मराठा युद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों ने मराठों को हराकर किले पर कब्ज़ा किया और आगरा पर नियंत्रण प्राप्त किया। किले के परिसर के अंदर कई स्थापत्य स्थलों को अंग्रेज़ों ने तहस-नहस कर दिया।

1835 ई. में अंग्रेज़ों द्वारा आगरा प्रेसीडेंसी स्थापित की गई, जो उनके प्रशासन का केंद्र बनी। अंग्रेज़ों ने किले का एक सैन्य अड्डे और हथियारों के संग्रह के रूप में उपयोग किया। 1857 ई. में स्वतंत्रता की पहली लड़ाई के दौरान, आगरे का किला दिल्ली से भाग रहे अंग्रेज़ी निवासियों के लिए एक आश्रय स्थल बन गया। आज़ादी तक यह शहर अंग्रेज़ों के अधीन रहा। 1983 ई. में किले को यूनेस्को का एक विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। वर्त्तमान में यह प्रतिष्ठित संरचना एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित की गई है। आंशिक रूप से भारतीय सेना इसका अनुरक्षण करती है।

A view of the Diwan-i-Khas. Image Source: Flickr

दीवान-ए-खास का एक दृश्य। छवि स्रोत - फ़्लिकर

आगरे का शानदार किला, आज भी भारत में मुगलों के गौरव, भव्यता और सौंदर्य परिष्करण के एक सशक्त अनुस्मारक के रूप में खड़ा है।