Records Available In:अंग्रेजी, हिंदी, पाली, तिब्बती, जर्मन, फ्रेंच
5 वीं से 12 वीं शताब्दी के मध्य नालंदा महाविहार बौद्ध शिक्षा की प्राप्ति का एक महानतम स्थान था। स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने यह घोषणा की थी कि नालंदा में बौद्ध शिक्षा को सीखने की प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए, जिसका प्रतिफल नवीन नालंदा महाविहार की स्थापना के रूप में देखने को मिलता है। नवीन नालंदा महाविहार के पुस्तकालय में पुस्तकों की कुल संख्या 60000 है जिसमें तिब्बती कैलीग्राफी की कुछ दुर्लभ पांडुलिपियां और ग्रिटिस पुस्तकें भी शामिल हैं। इस पुस्तकालय के बारे में यह गौर करने लायक बात है कि इसे कुछ प्रसिद्ध बौद्ध विद्वानों ने अपने व्यक्तिगत पुस्तकालय दान कर समृद्ध किया है, जिनमें डॉ. बी.आर. मुखर्जी, डॉ. नलिनकाश दत्ता, डॉ. नाथमल तातिया, प्रो. सीएस. उपासक, प्रो. कृष्ण नारायण प्रसाद मगध, प्रो. सियाराम तिवारी, प्रो. डी.के. बरुआ आदि प्रमुख हैं। म्यांमार (बर्मा), श्रीलंका, थाईलैंड, कंपूचिया (कंबोडिया), जापान और दक्षिण कोरिया ने अपनी अपनी भाषाओँ में प्रकाशित त्रिपिटक और अन्य ग्रंथों के सम्पूर्ण सेट इस महाविहार को दान किए हैं। चीन द्वारा बौद्ध पाठ का पूरा सेट उपहार स्वरुप इस पुस्तकालय को दिया गया है। परम पावन दलाई लामा द्वारा दान किए गए कंजूर और तंजूर का एक पूरा सेट, इसके कैटलॉग के साथ तिब्बती त्रिपिटक (पेकिंग संस्करण) का एक पूरा सेट, कंजूर और देहास के लेजा संस्करणों के साथ-साथ तंजुर के एस-नर-थॉग संस्करण भी हैं। ये सभी महाविहार के पुस्तकालय की अमूल्य निधि हैं।
Address: | नालंदा विश्वविद्यालय स्थल रोड, बारगाँव, बिहार - 803111 |
Established: | 1951 |
Institution Head: | प्रो. वैद्यनाथ लाभ, कुलपति |
Hours: | 9:30 am से 6:00 pm |
Phone: | 06112-281672 |
Website: | https://www.nnm.ac.in |