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1979 में स्थापित, श्रीमती मलादेवी चट्टोपाध्याय और डॉ. कपिला वात्स्यायन द्वारा संचालित, सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र (सी.सी.आर.टी.), भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संगठन के रूप में कार्य करता है। यह उन कुछ प्रमुख संस्थानों में से एक है जो संस्कृति को शिक्षा से जोड़ने का काम कर रहे हैं। सी.सी.आर.टी. अपनी रचनात्मक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए भारत भर में कार्यरत शिक्षकों, शिक्षा विशारदों और प्रशासकों के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी इसके द्वारा आयोजित किए जाते हैं। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कला और संस्कृति में निहित दर्शन, सौंदर्यशास्त्र और सौंदर्य की समझ को विकसित करने में सहायक होते हैं और शिक्षण पाठ्यक्रम में एक सांस्कृतिक घटक को शामिल करने के लिए कार्यप्रणाली तैयार करने पर में भी सहायक हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रतिभागियों को विभिन्न कला रूपों से परिचित कराते हैं, उनके अवलोकन कौशल के विकास पर केंद्रित होते हैं, उनके लेखन और मौखिक कौशल को बढ़ाते हैं, आत्मविस्वास की कमी को दूर कर चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। ये कार्यक्रम सीखने की प्रक्रिया को जानकारीपूर्ण, रोचक और मजेदार बनाने में मदद करते हैं।
सी.सी.आर.टी. के दार्शनिक मूल में बच्चों के संज्ञानात्मक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास को शामिल करते हुए समग्र शिक्षा के लिए एक प्रतिबद्धता निहित है। इसके लिए सी.सी.आर.टी. बच्चों में स्पष्टता, रचनात्मकता, विचार की स्वतंत्रता, सहिष्णुता और करुणा के भावों के प्रति अनुकूलित होने के लिए पर शिक्षा का संचालन सांस्कृतिक ज्ञान और समझ के आधार करता है। छात्रों, शिक्षकों और अन्य लोगों को भारत की कलाओं और संस्कृतियों के प्रति संवेदनशील बनाने के अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए सी.सी.आर.टी. स्थानीय समुदायों को उनकी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण में नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित करता है, विविधता पूर्ण सांस्कृतिक पहचान को सम्मान, बढ़ावा देने और उसकी सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करने के लिए प्रेरित करता है। हमारी विरासत में अंतर्निहित वास्तुशिल्प, सौंदर्य, ऐतिहासिक, पर्यावरण, पुरातात्विक और यहां तक कि आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक मूल्यों पर भी केंद्र द्वारा जोर दिया गया है।