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तमिलनाडु का खानपान: सांभर और फ़िल्टर कॉफी से आगे

तमिलनाडु, भारत का सुदूर दक्षिणी राज्य, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और भव्य मंदिरों के लिए जाना जाता है जो इसके विभिन्न शहरों और कस्बों में स्थित हैं। तमिलियों के बीच संस्कृति की जड़ें बहुत गहरी हैं जिसमें अत्यधिक लोग, एक न एक कला शैली, जैसे कर्नाटक संगीत अथवा शास्त्रीय नृत्य, अथवा यहाँ तक की, पारंपरिक व्यंजनों को पूरी तरह से निर्धारित शैली में तैयार करने में, लगे हुए हैं। तमिलनाडु का व्यंजन उन विभिन्न प्रभावों का प्रतिवर्तन है जिसे यह राज्य सदियों से आत्मसात करता आया है। पूर्वकालीन चोलों से लेकर तंजौर के मराठों तक, प्रत्येक राजवंश ने इस उत्तम खानपान पर अपनी छाप छोड़ी है। शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजनों की समान संख्या के साथ, यहाँ का भोजन अपनी सादगी, समृद्ध स्वादों और मसालों के उदार उपयोग के लिए प्रसिद्ध है।

भूगोल और मुख्य उपज

जैसा कि भारत के अन्य राज्यों में देखा जाता है, तमिलनाडु के पारंपरिक खाद्य पदार्थ भी राज्य की भौगोलिक स्थिति के अनुसार विकसित हुए हैं। संगम साहित्य, दक्षिण भारत का सबसे पुराना ज्ञात साहित्य, में ऐसी कविताएँ हैं जो उन पाँच भूदृश्यों के बारे में गहनता से बात करती हैं जिनमें प्राचीन तमिल भूमि को विभाजित किया जा सकता था। ये थे: कुरिंजी (पहाड़ी क्षेत्र), मुलई (वन क्षेत्र), मरुथम (कृषि भूमि), नेतल (समुद्र तट), और पलाई (निर्जन भूमि)। इनमें से प्रत्येक क्षेत्र के अनुसार, व्यंजन और उनमें प्रयुक्त सामग्रियाँ, अलग-अलग हुआ करती थीं।

Agricultural land in Tamil Nadu

तमिलनाडु की कृषि भूमि

Paddy in Tamil Nadu

तमिलनाडु में धान की खेती

नदीमुख-भूमि (डेल्टा) क्षेत्र में उपजाऊ भूमि होने के कारण, तमिलनाडु में धान की खेती अधिक होती है। तमिलियों के बीच एक लोकप्रिय कहावत है कि चोलों के अधीन भूमि इतनी उपजाऊ थी कि फसल उगाने के लिए हल की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। आज, तमिलनाडु में विभिन्न प्रकार के चावल उगाए जाते हैं और ये, दिन के तीनों भोजनों में, प्रमुख रूप से खाए जाते हैं।

विशेषताएँ और चिह्नक व्यंजन

तमिलनाडु का व्यंजन, हल्के तीखे सांभर से लेकर गरम और मसालेदार रसम तक, विभिन्न स्वादों का संयोजन है। यहाँ का खानपान, चावल, दालों, और इमली, धनिया, मिर्च, दालचीनी, करी पत्तों, इलायची, नारियल जैसे मसालों और कई अन्य वस्तुओं के उपयोग से मुख्यत: प्रभावित है। विभिन्न प्रकार के रसेदार मछली, चिकन और मांस के व्यंजन, यहाँ के खानपान के मुख्य हिस्से हैं। नारियल यहाँ के व्यंजनों में उपयोग किया जाने वाला एक सर्वव्यापी संघटक है।

यहाँ के खानपान के सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक है पोंगल। पोंग शब्द का तात्पर्य उबालने से है। यह व्यंजन उबले हुए चावल के साथ बनाया जाता है, जिसमें मिर्च, जीरे और सूखी दाल का तड़का लगाया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि पोंगल तमिलियों के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार का नाम भी है। यह शस्योत्सव नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। इस त्योहार के अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पोंगल पकाना होता है। पोंगल विभिन्न प्रकार के होते हैं: जिनमें गुड़ से बना शर्करई पोंगल, काली मिर्च और मूंग की दाल से बना मिलागु पोंगल, और इमली से बना पुली पोंगल, शामिल हैं।

Sarkarai Pongal

शर्करई पोंगल

तमिलनाडु खानपान के सामान्य नाश्ते के व्यंजनों में इडली, डोसा, उपमा, पोंगल, सेवई, उत्तपम और वड़ा शामिल हैं। इडली और डोसा, सांभर के साथ, अथवा यहाँ तक कि, तमिलनाडु की प्रसिद्ध, विभिन्न प्रकार की चटनियों, के साथ पसंद किए जाते हैं। नाश्ता और रात का भोजन प्रायः दिन के हल्के भोजन होते हैं, जबकि दोपहर के भोजन में, अच्छी मात्रा में चावल के साथ, रसेदार सब्जियों, सांभर, रसम (मिर्च और अन्य मसालों का उपयोग करके बनाया गया मसालेदार इमली का रस), पोरियल (विभिन्न सब्जियों से बना व्यंजन), और मोर कुलम्बु (नारियल के साथ दही और मसाले) अथवा पुली कुलम्बु (सब्जियों और इमली से बना मसालेदार खट्टा सालन), खाया जाता है। मांसाहारी लोगों के लिए, भोजन में मछली, चिकन अथवा मांस का सालन सम्मिलित होता है।

A typical breakfast platter: Idli, Dosa, Vada, Sambar

सामान्य नाश्ते की थाली: इडली, डोसा, वड़ा, सांभर

Uttapam, a typical breakfast dish

उत्तपम, विशिष्ट नाश्ते का व्यंजन

मराठी प्रभाव

एक रसेदार व्यंजन जिसने सीमाओं के पार लोकप्रियता हासिल की है और जिसके बिना इडली और डोसा, यहाँ तक कि चावल भी, अधूरा लगता है, वह है सुप्रसिद्ध सांभर!

सांभर की उत्पत्ति का एक विशिष्ट इतिहास है। दालों और सब्जियों से बना यह व्यंजन, जो पूरे दक्षिण भारत में लोकप्रिय है, मराठी मूल का बताया जाता है। जब 17वीं शताब्दी में मराठों ने तंजावुर पर अधिकार कर लिया था, तब वे अपने साथ अपनी संस्कृति लेकर आए, जिसका एक मुख्य हिस्सा उनकी आहार पद्धति थी। ऐसा कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी के पुत्र, संभाजी, स्वयं एक महान रसोइये थे। जब उन्होंने तंजावुर की रसोई में महाराष्ट्र का लोकप्रिय व्यंजन, अमटी, बनाने की कोशिश की, तो उन्हें एक विशेष संघटक नहीं मिला, और वह था कोकम। कोकम के स्थान पर इमली का उपयोग किया गया, और इस प्रकार जो अमटी का संशोधित रूप निकला, उसे सांभर का नाम दे दिया गया। तंजावुर के मूल निवासी, अनेक तमिल ब्राह्मण, इस अवधारणा से असहमत हैं। कई तमिलियों का मानना है कि सांभर के समान एक रसेदार व्यंजन मराठों के आगमन से सदियों पहले मौजूद था। हालांकि मूल रूप से यह मूँग दाल से बनाया जाता था, जिसे बाद में बादलकर अरहर की दाल का उपयोग किया जाने लगा था। फिर भी, यह एक निर्विवाद तथ्य है कि मराठों का इस क्षेत्र के व्यंजन पर बहुत प्रभाव पड़ा। इस प्रकार तंजौर मराठा व्यंजन नामक एक विशिष्ट व्यंजन उभर कर आया। तंजौर मराठा व्यंजन के कुछ विशेष पकवानों में केसरी मास, सुनती, थोन थोना, और मैंगो गोज्जू शामिल हैं।

Sambhaji, the eldest son of the Maratha ruler, Chhatrapati Shivaji

संभाजी, मराठा शासक छत्रपति शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र

Popular spices

लोकप्रिय मसाले

क्षेत्रीय खानपान: चेट्टीनाड व्यंजन

तमिलनाडु के विभिन्न क्षेत्रों के अपने विशेष खानपान हैं। मदुरई और तिरूनेलवेली जैसे क्षेत्र चिकन, मांस और मछली से बने मुँह में पानी लाने वाले कुछ मांसाहारी व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध हैं। परोट्टा, आटे से बना स्वादिष्ट पराठा है, जिसे मसालेदार रसेदार चिकन अथवा मांस के साथ पसंद किया जाता है। मदुरई के प्रसिद्ध पेय पदार्थों में से एक जिगरठंडा है, जो दूध, बादाम गोंद और चीनी से बनता है। इस क्षेत्र के अन्य व्यंजनों में मुत्तापोरोट्टई, परुथीपल और करी डोसा सम्मिलित हैं।

कन्याकुमारी जिले के कुछ क्षेत्रों को उनके मछली से बने व्यंजनों लिए जाना जाता है। हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से घिरे इन क्षेत्रों में मछली बहुतायत में उपलब्ध है।

चेट्टीनाड व्यंजन, जो अपने मसालेदार सालनों तथा चिकन और मांस के व्यापक उपयोग के लिए जाना जाता है, पूरे भारत में लोकप्रिय हो गया है। तमिलनाडु के चेट्टीनाड क्षेत्र में नट्टुकोट्टई चेट्टियार अथवा नागरथार बसे हुए हैं। ऐतिहासिक रूप से, वे व्यापारी और व्यवसायी थे, जो सीलोन (अब श्रीलंका) और बर्मा जैसे देशों के साथ नियमित रूप से व्यापार करते थे। ऐसा कहा जाता है कि चेट्टियार मूल रूप से तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र के रहने वाले थे, लेकिन एक बड़ी बाढ़ आने के बाद वे अपनी जगह से वर्तमान, शुष्क और निर्जन क्षेत्र में स्थानांतरित हो गए थे। चेट्टीनाड, राज्य के सबसे शुष्क क्षेत्रों में से एक है और यह विशेषता चेट्टीनाड व्यंजन की पारंपरिक पाक विधियों में परिलक्षित होती है।

वास्तविक चेट्टीनाड व्यंजनों में, क्षेत्र के शुष्क वातावरण को देखते हुए, धूप में सुखाई गईं सब्जियों तथा कभी-कभी धूप में सुखाए गए मांस का भी उपयोग किया जाता है। इस व्यंजन की एक और विशेषता, मिलगई (मिर्च), कारूमिलगु (काली मिर्च), पट्टाई (दालचीनी) और पुली (इमली) जैसे मसालों और तेल का उदार उपयोग है। मांसाहारी व्यंजन मुख्यतः चिकन, मटन और समुद्री खाद्य से बने होते हैं। सबसे लोकप्रिय व्यंजन चेट्टीनाड चिकन है जो अब देश के कुछ उत्कृष्ट रेस्टोरेंटों की भोजनसूची में भी सम्मिलित हो गया है। यह चिकन सालन मुँह में मसालेदार काली मिर्च का हल्की स्वाद छोड़ जाता है।

यद्यपि अपने मसालेदार, मांसाहारी व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध, इस व्यंजन में शाकाहारी खाद्यों की भी विस्तृत किस्में हैं। चेट्टियार मूलतः शाकाहारी थे, लेकिन उनमें से अधिकांश व्यवसायी और व्यापारी थे, जो अपने साथ विदेशी भूमियों की संस्कृतियों और परंपराओं को लेकर आए, जो समय के साथ उनके व्यंजन में परिलक्षित हुईं। लोकप्रिय शाकाहारी व्यंजनों में विभिन्न प्रकार के पनियारम: वेल्लई पनियारम, पल पनियारम, कुझि पनियारम, और अन्य खाद्य जैसे कि इडिअप्पम, उत्तप्पम, कंधारप्पम और मैंगो पचड़ी सम्मिलित हैं।

Chettinad Chicken

चेट्टीनाड चिकन

Chettinad style prawn masala

चेट्टीनाड शैली का झींगा मसाला

Mango Pachadi

मैंगो पचड़ी

Filter coffee

फ़िल्टर कॉफ़ी

अनुप्रतीकात्मक फ़िल्टर कॉफ़ी

तमिल खानपान, व्यंजनों को तैयार करने की पारंपरिक विधियों के लिए, जाना जाता है। तमिल लोगों के मनपसंद पेय, प्रसिद्ध फ़िल्टर कॉफ़ी, को तैयार करना ही काफी हद तक इस बात का साक्ष्य प्रदान करता है। तमिलनाडु के कई घरों में तो एक गिलास गरम फ़िल्टर कॉफ़ी के बिना दिन की शुरुआत ही नहीं होती है। कहा जाता है कि इस पेय को तैयार करना एक कला है। दूध की मात्रा से लेकर इसे बनाने में लगने वाली चीनी की मात्रा तक, सभी माप बहुत ठीक होने चाहिए। विधि सरल है। कॉफ़ी के बीजों (बीन्स) को पहले भूना जाता है और फिर पीस लिया जाता है। फिर पिसी हुई कॉफ़ी को गरम उबलते हुए पानी के साथ फ़िल्टर सेट में डाल दिया जाता है और कुछ मिनटों के लिए छोड़ दिया जाता है। फिर फ़िल्टर सेट में इकट्ठा हुए काढ़े को दूध और चीनी में मिलाया जाता है। फ़िल्टर कॉफ़ी बनाने का सबसे अच्छा तरीका है, कॉफ़ी को गिलास से डबरे (छोटी कटोरी) में तेज़ी से उड़ेलें और फिर डबरे से गिलास में उड़ेलें और इस प्रक्रिया को कुछ समय तक जारी रखें जब तक कि कॉफ़ी झागदार न हो जाए।

केले के पत्ते पर खाना: एक चिरस्थायी परंपरा

आज भी तैयार किए जाने वाले अधिकांश व्यंजन, पारंपरिक पाक-विधियों का अनुसरण करने का प्रयास करते हैं, जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं। खाने के पैटर्न और आहार प्रथाओं में सभी परिवर्तनों के बावजूद, महत्वपूर्ण समारोहों और अवसरों पर केले के पत्ते पर भोजन करने की प्राचीन परंपरा, आज भी जारी है। विशेष अवसरों पर, केले के पत्ते पर विरुंधु सप्पडु नामक पूर्ण भोजन परोसा जाता है जिसमें पायसम, अचार, अप्पलम, पचड़ी, विभिन्न प्रकार के चावल के व्यंजन जैसे कि इमली चावल, नींबू चावल अथवा नारियल चावल, सादा चावल, सांभर, रसम, पोरियल, दही अथवा छाछ सम्मिलित होते हैं। प्रत्येक शुभ भोजन की शुरुआत मिठाई से की जाती है, जिसके बाद चावल और अन्य रसेदार सब्जियाँ परोसी जाती हैं, तथा दही आधारित व्यंजन के साथ भोजन समाप्त होता है। यह एक ऐसा भोजन है जो तमिलनाडु के व्यंजन के विभिन्न स्वादों का अनुभव कराता है।

तमिलनाडु के व्यंजन अब केवल राज्य तक ही सीमित नहीं हैं। प्रसिद्ध सांभर, जो तंजावुर शहर के अंदर उत्पन्न हुआ, दक्षिण भारतीय व्यंजन का मुख्य घटक बन गया है। अन्य राज्यों और क्षेत्रों ने तमिलनाडु के लोकप्रिय व्यंजनों के विविध रूपों की अपना तो लिया है, परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि पारंपरिक व्यंजन और पाक विधियाँ आज भी राज्य के अंदर ही बसी रह गई हैं।