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हैदराबाद की गलियों के ज़ायके

भारत विविध सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का देश है। इसकी भौगोलिक भिन्नता देश भर के विविध पाक-कला संबंधी मानचित्र में परिलक्षित होती है। स्ट्रीट फ़ूड की उपस्थिति लंबे समय से भारतीय शहरों का एक महत्वपूर्ण पहलू रही है। हमारे देश के लगभग हर शहर में, स्ट्रीट फ़ूड आज एक आकर्षक नज़ारा बन गया है। हाल के दिनों में, स्ट्रीट फ़ूड, एक लोकप्रिय संस्कृति के रूप में, स्थानीय और विदेशी पाक-शाला संबंधी भावों की परस्पर क्रिया को दर्शाता है। इस संबंध में ऐतिहासिक शहर हैदराबाद भी कोई अपवाद नहीं है।

वर्तमान हैदराबाद शहर की स्थापना 1591 ईस्वी में क़ुतुब शाही वंश के पाँचवें सुल्तान मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह ने की थी। इसे चारमीनार स्मारक के आसपास बनाया गया था जो आज भी हैदराबाद के गौरवशाली अतीत को याद करता है। चारमीनार के आसपास का क्षेत्र शहर के सबसे भीड़भाड़ वाले स्थानों में से एक है, जो जोश और जीवन से भरपूर गतिविधियों से भरा हुआ है। आज, यह न केवल पर्यटकों के आकर्षण का स्थल है, बल्कि समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भंडार भी है। निज़ामों के शासनकाल से ठीक पहले 1687-1724 के दौरान हैदराबाद पर मुग़लों के द्वारा भी शासन किया गया था। हैदराबाद राज्य 1724-1948 तक निज़ामों के अधीन भारत की सबसे बड़ी रियासतों में से एक था। परिग्रहण प्रपत्र (इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन) पर हस्ताक्षर करने के बाद यह अंततः स्वतंत्र भारत का हिस्सा बन गया। 2014 में तेलंगाना राज्य बनने तक यह आंध्र प्रदेश राज्य की राजधानी हुआ करता था। वर्तमान में, हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी होने के साथ-साथ, कानूनी तौर पर, अस्थायी अवधि के लिए आंध्र प्रदेश की राजधानी भी है।

Constructed by Muhammad Quli Qutb Shah in 1591, the giant structure of Charminar continues to celebrate the glorious past of Hyderabad. Image Source: Wikimedia Commons

1591 में मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह द्वारा निर्मित, चारमीनार की विशाल संरचना आज भी हैदराबाद के शानदार अतीत का गुणगान करती है।

Mouthwatering Hyderabadi Biryani, Image Source: Wikimedia Commons

मुँह में पानी लाने वाली हैदराबादी बिरयानी, छवि स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

हैदराबाद का पाक-कला संबंधी मानचित्र क़ुतुब शाही, मुग़ल और निज़ाम जैसे कई शक्तिशाली राजवंशों के प्रभाव को दर्शाता है। आज भी यह शहर विभिन्न समुदायों द्वारा शुरू की गई अपनी विविध सांस्कृतिक पहचान का जश्न मनाता आ रहा है। इस विविधता का प्रतिनिधित्व इसके गली-कूचों, मुहल्लों, सड़कों, और चौराहों पर उपलब्ध विभिन्न खाद्य पदार्थों से होता है। दिलचस्प बात यह है कि निज़ामों के शाही झंडे में संत निज़ामुद्दीन औलिया के आशीर्वाद के रूप में दिए गए कुलचे की तस्वीर शामिल है। हैदराबाद का चयन "यूनेस्को क्रिएटिव सिटी ऑफ़ गैस्ट्रोनॉमी" के रूप में किया गया था, जो इसके असंख्य पाक-शाला संबंधी भावों का एक और प्रतिबिंब ही तो है। भारत भर में व्यापक रूप से प्रसिद्ध हैदराबादी बिरयानी, इस शहर की पाक-शाला संबंधी विरासत के लिए निस्संदेह एक संपत्ति ही है। इसे कच्ची (कच्चे) चावल और कच्ची मांस के साथ-साथ आकर्षक मसालों के मिश्रण से तैयार किया जाता है।

चारमीनार के आसपास का क्षेत्र शहर में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के स्ट्रीट फ़ूड की समृद्ध विविधता का पता लगाने के लिए बढ़िया अवसर प्रदान करता है। यह स्पष्ट रूप से मध्य-पूर्व (मिडिल-ईस्ट) में अपनी जड़ें रखने वाले यहाँ के शासक राजवंशों के पाक-शाला संबंधी प्रभावों को दर्शाता है। मुंशी नान, अल-अकबर फ़ास्ट फ़ूड कॉर्नर, शाह हाउस, माशाल्लाह घवा, होटल शाहरान और शादाब होटल में स्वादिष्ट सीख कबाब, कीमा खट्टा, तंदूरी चिकन, पाया, रुमाली रोटी, वरक़ी पराठे और मांस एवं ग़ोश्त से भरपूर कई व्यंजन परोसे जाते हैं। मुग़लई भोजन के लिए मशहूर मुंशी नान ने चारमीनार में अब तक 167 साल पूरे कर लिए हैं। पाया एक पारंपरिक व्यंजन है जो अक्सर विशेष अवसरों पर महमानों को परोसे जाने के लिए तैयार किया जाता है। यह गाय, बकरी, भैंस, या भेड़ के खुरों से बनाया जाता है और अनूठे मसालों के साथ पकाया जाता है। हैदराबादी हलीम चारमीनार में व्यापक रूप से पसंद किया जाता है। यह अरबी मूल का व्यंजन धीमी आँच पर पका हुआ मांस का स्ट्यू होता है। यह मसूर, मटन और कुटे हुए गेहूं से भरा होता है। एक जमाने में हलीम को नवाबों का प्रोटीन पेय माना जाता था। निहारी एक अन्य प्रकार का स्ट्यू होता है जिसमें मटन या चिकन, या टांग के मांस (मवेशियों या भेड़ के मेमने की घुटनों से टखनों के बीच की टांग की हड्डी के आसपास का हिस्सा) को धीमी आंच पर पकाया जाता है। निहारी शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द नाहर से हुई है, जिसका अर्थ है सुबह। घवा एक लोकप्रिय पेय है जिसे गुलाब जल में कॉफ़ी के आसवन में केसर और इलायची मिलाकर तैयार किया जाता है। महाराष्ट्रीयन व्यंजन जैसे कि वड़ा पाव, बटाटा वडा (बेसन में लपेटकर तेल में तला हुआ आलू मसाले का गोला), तरी पोहे (पोहे और उसके ऊपर से चने की नागपुरी स्टाइल में बनी तरी) और मिसल पाव (मोठ से बनी एक मसालेदार करी और पाव) के लिए चारमीनार एक विशेष स्थान है। आगरा मिठाई घर की केसर पिस्ता लस्सी असाधारण रूप से मज़ेदार है, जबकि यहाँ की जलेबी और इमरती मुँह में पानी ले आती हैं। यहाँ पर इमरती को जहाँगीरी के नाम से जाना जाता है। निम्राह बेकरी अपनी प्रसिद्ध ईरानी चाय और उस्मानिया बिस्कुट के लिए चारमीनार में एक लोकप्रिय स्थान है।

A scene of street food from Hyderabad Image Source: Wikimedia Commons

हैदराबाद के स्ट्रीट फ़ूड का एक दृश्य,छवि स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

हैदराबाद के उपनगर, गाचीबावली, में फ़ास्ट-फ़ूड की दुकानों की कतारें हैं जो आमतौर पर शाम के समय से खाना परोसना शुरू करती हैं। डीएलएफ़ स्ट्रीट, इस क्षेत्र का एक लोकप्रिय अड्डा है, जिसमें नियमित रूप से फ़ास्ट-फ़ूड प्रेमियों की भीड़ लगी रहती है। शवर्मा और कबाब यहाँ की सबसे पसंदीदा वस्तुएँ हैं। इन दुकानों में कुछ स्वादिष्ट सब्जियों और मछली के फ़्राईज़, बर्गर, अंडा भुर्जी, भाप में बने मोमोज़, तली हुई और रसदार मैगी और कई दक्षिण भारतीय व्यंजन भी परोसे जाते हैं। सरदारजीज़ ट्रेडिशनल पंजाबी पैलेट पूरी गाचीबावली में मुँह में पानी ले आने वाले अपने पंजाबी भोजन के लिए प्रसिद्ध है। विशेष मटका चाय भी चाय प्रेमियों को अपने देसी स्वाद के लिए आकर्षित करती है। यह गली जूस और आइसक्रीम स्टालों के लिए भी काफ़ी लोकप्रिय है।

बेगम बाज़ार में एक प्रसिद्ध स्टाल राम की बंदी अपनी मध्यरात्रि सेवाओं के लिए जाना जाता है। यह मक्खन इडली, तवा इडली, चीज़ डोसा और चीज़ उपमा सहित ढेरों स्वादिष्ट दक्षिण भारतीय भोजन परोसता है। राम की बंदी की खासियत है तीनमार – जो चीज़, मक्खन और पनीर का मेल होता है। रात की पाली के कर्मचारी रात में 3 बजे के बाद से यहाँ पर नियमित रूप से उंगली चाट जाने लायक व्यंजनों का आनंद लेते हैं। शहर भर के स्ट्रीट फ़ूड स्टाल समोसे, कचौड़ियाँ, मिर्ची भजिया, पाव भाजी, आलू के चिप्स और ब्रेड पकौड़े जैसे कुछ सामान्य स्नैक आइटम तो परोसते ही हैं।

Hyderabadi Paya being presented in Charminar Image Source: Wikimedia Commons

चारमीनार में परोसा जा रहा हैदराबादी पाया ,छवि स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

सिकंदराबाद के स्ट्रीट फ़ूड का उल्लेख किए बिना यह वर्तमान अन्वेषण कार्य अधूरा रह जाएगा। सन् 1806 में अंग्रेज़ छावनी के रूप में स्थापित, यह हैदराबाद का जुड़वाँ शहर है। सिकंदराबाद अपने आंग्ल-भारतीय (एंग्लो-इंडियन) व्यंजनों के लिए जाना जाता है। धनसक एक ऐसा ही व्यंजन है जो पारसी समुदाय के बीच उत्पन्न हुआ है। यह बकरी के मांस को दाल और सब्जियों के मिश्रण के साथ पकाकर बनाया जाता है। सिकंदराबाद अपने विभिन्न प्रकार के अद्वितीय मिष्ठान्नों (कन्फ़ेक्शनरी) के लिए भी जाना जाता है। शहर भर में सड़कों पर लगे स्टॉल मुंह में पानी ले आने वाले ढेरों व्यंजन परोसते हैं, जैसे कि, दाबेली (मसालेदार आलू से भरे सैंडविच का एक देसी संस्करण, जिसे मूंगफली और विभिन्न प्रकार की चटनियों के साथ परोसा जाता है), पेसारट्टू (हरी मूंग दाल से बना एक पतला चीला), ढोकला, डोसा, तथा नूडल्स समोसा, पनीर समोसा और पास्ता समोसा सहित विभिन्न प्रकार के समोसे, आदि। यहाँ पर कई सारी चीनी फ़ास्ट-फ़ूड दुकानें भी हैं। वहीं दूसरी तरफ़, टैंक बंद के आसपास का क्षेत्र अपने चाट के स्टालों के लिए लोकप्रिय है। ये दुकानें बहुत सारे मसालों के साथ मुरमुरे, चने और मूंगफली का मिश्रण परोसती हैं। टैंक बंद, जिसे हुसैन सागर भी कहा जाता है, 16वीं शताब्दी की एक झील है जो इन जुड़वाँ शहरों को अलग करती है।

Mouthwatering Chaat from the street of Hyderabad Image Source: Wikimedia Commons

हैदराबाद की गली की मुँह में पानी ले आने वाली चाट ,छवि स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

Delicious Jauzi Halwa from the street of Hyderabad Image Source: Wikimedia Commons

हैदराबाद की गलियों का स्वादिष्ट जौज़ी हलवा ,छवि स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

हैदराबाद के स्ट्रीट फ़ूड में विभिन्न प्रकार की स्वादिष्ट मिठाइयाँ भी शामिल हैं। जौज़ी हलवा (जिसे निज़ाम की पसंदीदा मिठाई कहा जाता है), बादाम हलवा, फ़िरनी (एक मलाईदार मीठा पकवान जिसे पिसे चावल, दूध, बादाम, केसर और इलायची के साथ बनाया जाता है), फालूदा, जुन्नु (दूध का साधारण पकवान), मौज़ का मीठा (केले की मिठाई) शहर भर की कुछ लोकप्रिय मिठाइयाँ हैं। फालूदा को गुलाब की चाशनी और दूध में टुकड़े की हुई सेंवई को डाल कर बनाया जाता है, जबकि जौज़ी हलवा में एक अद्वितीय स्वाद देने के लिए जौज़ नामक विशेष मसाले का उपयोग किया जाता है। सूखी खुबानी से बना खुबानी का मीठा, हैदराबाद की एक आम मिठाई है।

वैश्वीकरण के इस दौर में रोज़मर्रा के जीवन के बदलते पैटर्न ने दुनिया भर में लोगों की खाने की आदतों को प्रभावित किया है। हैदराबाद की सड़कों के विभिन्न प्रकार के व्यंजन विभिन्न समुदायों के बीच संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को दर्शाते हैं। और यह आदान-प्रदान, आने वाले वर्षों में यहाँ की जीवंत खाद्य संस्कृति को प्रभावित करना जारी रखेगा।