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कुषाण गान

Domain:मौखिक परंपराएँ और अभिव्यक्तियाँ

State: पश्चिम बंगाल

Description:

कुषाण भारत के उत्तर पूर्व के निचले असम और उत्तर बंगाल के कई हिस्सों में एक समय पर पाई जाने वाली रामायण लोक नाट्य शैली का नाटकीय प्रदर्शन है। इसमें गायन, संवादों का उच्चारण, अभिनय, नाचना और बाजे बजाना शामिल होता है। इसकी विषयवस्तु मूल रूप से धार्मिक प्रकृति की होती है और यह रामायण में राम के बेटे लव और कुश वाले हिस्से के ऊपर केंद्रित होती है। यह एक मौखिक परंपरा है जो शायद बंगला क्रितिबासी रामायण से प्रेरित है और इसके संवादों और गीतों में स्थानीय भाषा का प्रयोग होता है। कुषाण नाट्य शैली में कलाकारों का एक विशिष्ट अनुक्रम होता है। ‘गीदल’ या ‘मूल’ मुख्य कलाकार होता है, जो दल का मुखिया भी होता है और जो बयाना नामक मुख्य वाद्ययंत्र (एक तार वाला वाद्ययंत्र) बजाता है। गीदल बंगाली, कामतापुरी या राजवंशी में कथा कहता है क्योंकि ये एतिहासिक कामतापुर राज्य के क्षेत्र हैं। बंगाली, दोनों, बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल की राज भाषा है। साथ देने वाले गायक-अभिनेताओं को ‘पईल’ या ‘दाएन’ कहा जाता है। गीदल के बाद ‘दोआरी’ होते हैं। यह द्वितीयक कथावाचक करीब-करीब वैसी ही कथा कहता है, परंतु मानक बंगाली (बंगला भाषा) के बजाय, वह इसका रंगपुरी या राजवंशी जैसी स्थानीय बोलियों में अनुवाद कर देता है।