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फड़: पट्ट चित्र और उनकी व्याख्या

Domain:पारंपरिक शिल्पकारिता

State: राजस्थान

Description:

फड़ लगभग ३० फीट लंबा और ५ फीट चौड़ा पेंट किया हुआ पट्ट होता है जिस पर स्थानीय देवी देवताओं और महान नायकों की महाकाव्यों की विस्तृत कहानियाँ चित्रित होती हैं। फड़ पेंटिंग राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में बनाई जाती हैं। जो गायक फड़ में चित्रित कहानियों का वर्णन करते हैं वे राजस्थान भर में फैले हुए हैं: भीलवाड़ा जिले में, हनुमानगढ़ जिले के रतनपुर में, अजमेर जिले के देवमली में, इत्यादि। फड़ पेंटिंग के कलाकार राजस्थान कपड़े की छपाई और रंगाई करने वाले छीपा समुदाय के के जोशी वंश के होते हैं। इस काम से जुड़ा दूसरा समुदाय है भोपा, अर्थात, पट्टों पर चित्रित स्थानीय देवी देवताओं के पुजारी। भोपा, अर्थात स्थानीय पुजारी, इन कहानियों को गाकर सुनाते हैं। स्थानीय देवता देव नारायण की कहानी सुनाने वाले भोपा गुज्जर समुदाय से होते हैं, जबकि पाबूजी देवता की कथा गानेवाले राजपूत और अन्य समुदायों के होते हैं। फड़ का जिस समय उपयोग नहीं किया जाता है तब इसे गाँव के मंदिर या भोपा के घर में रख दिया जाता है। भोपा इन पट्टों को अपने कंधों पर उठाकर प्रदर्शन हेतु गाँव से गाँव जाते हैं जहाँ वे इसे किसी खुली जगह पर बांस के ढांचे पर खोलकर रख देते हैं। फड़ देवता का चलता-फिरता मंदिर और एक पूजनीय वस्तु है। प्रदर्शन रात में होता है और भोपी (पुजारी की पत्नी) मूर्तियों को उजागर करने के लिए एक दिया जलाती है। जंतर नमक वाद्य यंत्र के साथ देव नारायणजी की कहानियाँ गायी जाती हैं, और पाबूजी का महाकाव्य बना नामक दो तारवाले यंत्र के साथ गाया जाता है।