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सुषिर वाद्य

ये वायु से बजने वाले वाद्य होते हैं। इनमें ध्वनि उत्पन्न करने के लिए, बिना तारों या झिल्ली के इस्तेमाल के और यंत्र के बिना कम्पित हुए, वायु के टुकड़े को कम्पित किया जाता है,जिससे ध्वनि में बढोत्तरी  होती है। इन उपकरणों की तान संबंधी गुणवत्ता उपयोग किए गए ट्यूब के आकार और आकृति पर निर्भर करती है। वे गहरे बास से लेकर कर्णभेदी तेज़ सुरों तक, जोर की और भारी ध्वनि उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं। ये खोखले वाद्य हैं जिनमें हवा से ध्वनि उत्पन्न की जाती है। वाद्य में छिद्र खोलने और बंद करने के लिए उंगलियों का उपयोग करके ध्वनि के स्वरमान को नियंत्रित किया जाता है। शहनाई भारत का एक लोकप्रिय सुषिर वाद्य है। इन्हें बजाने के तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • हवा की यंत्रवत् रूप से आपूर्ति की जाती है जैसे कि हारमोनियम में
  •  हवा की आपूर्ति श्वास द्वारा शहनाई या बांसुरी में की जाती है (मुंह से फूंककर)