31 जनवरी बिष्णु प्रसाद राभा
बिष्णु प्रसाद राभा असम के एक जाने-माने कवि, नाटककार, संगीतकार, नर्तक, अभिनेता और लेखक हैं, जिनका जन्म 31 जनवरी 1909 को हुआ था। राभा असमिया संस्कृति के एक प्रतीक हैं, जिसके कारण असम के लोगों के बीच वे ‘कला गुरु’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। उनका संगीत आज 'बिष्णु राभा संगीत' के नाम से जाना जाता है। बिष्णु प्रसाद बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। असम की कला, संस्कृति और रंगमंच से जुड़े रहने के अलावा, उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी एक सक्रिय भूमिका निभाई और अपना पूरा जीवन इस ओर समर्पित कर दिया। हालाँकि वे एक लेखक भी थे, परंतु उनकी कई पुस्तकें उनके मरणोपरांत प्रकाशित हुईं। ‘मिचिंग कोनेंग’, ‘सोनपाही’, ‘असमिया कृस्तीर समूह आभास’, और ‘अतीत असम’, उनकी कुछ रचनाएँ हैं। बिष्णु प्रसाद राभा का निधन 1969 में हुआ था। वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य विरासत छोड़कर गए हैं।
यह कहानी पद्मनाभस्वामी मंदिर और उससे जुड़े त्रावणकोर के शाही परिवार के इतिहास का वर्णन करती है।
पुरी का जगन्नाथ मंदिर हिंदू धर्म से संबंधित 'चार धामों' में से एक है। यह भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को समर्पित है।
दिल्ली दरबार भारत के वाइसरॉयों द्वारा ब्रिटेन के सम्राटों या साम्राज्ञियों के राज्याभिषेक के अवसरों पर आयोजित किए जाने वाले भव्य कार्यक्रम थे। इसलिए, ये कॉरोनेशन दरबार के रूप में भी जाने जाते थे।
अपने देश से बहुत दूर, अंग्रेज़ों ने हिमालय की तलहटी में एक ‘छोटे इंग्लैंड’ का निर्माण किया। शिमला को गुमनामी के अँधेरे से निकालकर, इंग्लैंड के सबसे बड़े उपनिवेशों में से एक, भारत, की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया।
यह कहानी 19वीं शताब्दी की शुरुआत में ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा, साँची स्मारक की खोज के समय से इसके इतिहास का वर्णन करती है।
यह कहानी चंपारण में नील की खेती की अत्याचारी ‘तिनकठिया’ प्रणाली और किसानों की मदद के लिए गांधीजी के द्वारा किए गए सत्याग्रह का वर्णन करती है।
यह कहानी बंगाल में नील की खेती की व्यवस्था, भारतीय किसानों के शोषण और दमनकारी यूरोपीय बागान-मालिकों के खिलाफ़ उनके विद्रोह से संबंधित है।
बेगम हज़रत महल उन कुछ महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेज़ों को चुनौती दी थी।
यह कहानी उन परिस्थितियों के बारे में बात करती है जिनके आसपास दिल्ली को सन् 1911 में तत्कालीन भारत की राजधानी के रूप में चुना गया था, और इसमें वास्तुकारों एडवर्ड लुटियन और हर्बर्ट बेकर ने क्या भूमिका निभाई थी।
जलियाँवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल, 1919 को घटित हुआ था। इस दिन अमृतसर के बीचों-बीच एक वरिष्ठ ब्रिटिश सैन्य अधिकारी, जनरल डायर के आदेश पर सैकड़ों निहत्थे भारतीयों की हत्या की गई थी।
कोह-ए-नूर दुनिया में सबसे अधिक प्रसिद्ध रत्नों में से एक है। इसे 1839 में हस्ताक्षरित लाहौर की अंतिम संधि की शर्तों के तहत भारत से ले लिया गया था। अंग्रेज़ों द्वारा इसे काटने और तराशने के बाद, अब इसका वजन 105.6 कैरेट है।
मुगल साम्राज्य के अंतिम सम्राट और भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का एक जाना-माना चेहरा।
करवा चौथ विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक त्योहार है जिसमें वे सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक का व्रत रखती हैं और अपने पतियों की सलामती की प्रार्थना करती हैं।
रथ यात्रा (चैरियट फेस्टिवल), पुरी में जगन्नाथ मंदिर में मनाए जाने वाले भव्य त्योहारों में से एक है। इसमें भगवान जगन्नाथ की, अपने भाई-बहन बालभद्र और सुभद्रा, के साथ उनकी मौसी के घर, गुंडीचा, जाने की वार्षिक यात्रा का उत्सव मनाया जाता है।
यह कहानी बादशाह शाहजहाँ के बाद, मुगल सिंहासन के उत्तराधिकारी, दारा शिकोह के जीवन और आध्यात्मिक झुकाव का वर्णन करती है। उनका अपने भाई औरंगज़ेब के विरुद्ध, उत्तराधिकार पाने के खूनी युद्ध में दुखद अंत हुआ।
ओडिशा के समृद्ध समुद्री इतिहास को याद करने वाला त्योहार बाली यात्रा पूरे राज्य में मनाया जाता है। ऐतिहासिक शहर कटक में, कार्तिक पूर्णिमा के दिन से एक सप्ताह तक चलने वाला कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
पूर्वी असम में सिवसागर एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर है, जो प्रकृति की सुंदरता को भी प्रदर्शित करता है। यह अहोम राजाओं की राजधानी थी और यहाँ उस युग के महत्वपूर्ण स्मारक हैं।
उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास गंगा नदी के किनारे बसा बिठूर नामक एक छोटा सा शहर महान धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थान है।
उन चार रानियों के दिलचस्प इतिहास में कदम रखिए जिन्होंने एक के बाद भोपाल पर राज्य किया था। भोपाल की बेगमें सुयोग्य शासक मानी जाती थीं क्योंकि उन्होंने भोपाल शहर को पुनः परिभाषित किया और अंग्रेज़ों के साथ सम्मानजनक संबंध बनाए रखे।
15वीं शताब्दी के एक कवि-संत की कहानी जिनके सामाजिक और आध्यात्मिक विचार उनकी कविताओं के माध्यम से अभिव्यकत होते थे और आज भी वे प्रेरणा का एक स्रोत हैं।
यह कहानी इंजीनियरिंग की एक बेमिसाल संरचना, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की योजना और इतिहास का वर्णन करती है।
यह कहानी दुनिया के पहले पूर्ण रूप से ग्रेनाइट से निर्मित मंदिर, तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर पर आधारित है। राजराजा चोल प्रथम का गौरव, लगभग 1000 साल पहले निर्मित यह मंदिर, वास्तुकला में सटीकता और समरूपता का सबसे अच्छा उदाहरण है।
यह कहानी तमिलनाडु की देवदासी प्रथा और भरतनाट्यम नृत्य कला के विकास पर केंद्रित है जिसे पहले सादिर अट्टम के नाम से जाना जाता था।
यह कहानी इस बारे में है कि कैसे 17वीं शताब्दी में 7 द्वीपों के एक समूह को एक साथ जोड़कर मुंबई के द्वीप शहर का निर्माण किया गया। यह कहानी बम्बई सरकार और लंदन में ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों के बीच हुई बातचीत का वर्णन करती है जिसने इस शहर को आकार दिया।
दुर्गा पूजा पर यह कहानी इस भव्य उत्सव के इर्द-गिर्द घूमती ज़िंदगी का अन्वेषण करती है। पौराणिक कथाओं से लेकर मूर्ति निर्माण और पंडाल निर्माण तक, यह कहानी आपको माँ दुर्गा को समर्पित इस पर्व के बारे में बताती है।
यह कहानी 19वीं सदी से मुंबई में पारसी नाट्यकला के इतिहास के बारे में बताती है। यह नाटकों के मंचन से जुड़े लोगों और प्रतिष्ठित संरचनाओं के बारे में भी बात करती है।
यह कहानी उन गुफ़ा मंदिरों के बारे में बताती है जो वर्तमान में मुंबई, महाराष्ट्र, के व्यस्त उपनगरों में स्थित हैं। यह इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के प्रसार का विवरण देती है जिससे इस शहर की प्राचीनता दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक जाती है।
In the early 19th century, Panjab, the land of five rivers, was ruled by a man whose ideals were secular in nature. Maharaja Ranjit Singh, famously called ‘Sher-e-Panjab’ (Lion of Panjab) was known to be a fierce king who established a reign based on diversity and equality.
I will tell the Viceroy and the Governor-General of India that Ashutosh Mukherjee refuses to be commanded by any other person except his mother, be he Viceroy or somebody higher still
Ellora is situated about 15 miles north-west of Aurangabad. It is known to the world for its wonderful cave temples in the hills which are about a mile to its east.
This is the story of the brave queen Rani Durgavati. The scion of the famous Chandela dynasty of Mahoba, and the queen of the Gond kingdom of Garha-Katanga, the Rani took on the might of the Mughal Empire with great courage and leadership.
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