Author: विवेकानंद
Keywords: विवेकानंद, भाषण, लाहौर, व्याख्यान, अद्वैत वेदांत, धर्म, दर्शन
Publisher: अद्वैत आश्रम, मायावती
Description: यह स्वामी विवेकानंद द्वारा नवंबर 1897 में लाहौर में अद्वैत वेदांत पर दिया गया एक व्याख्यान है। इसे व्यापक प्रसार के लिए एक पुस्तिका के रूप में प्रकाशित किया गया है। यहाँ, स्वामी विवेकानंद मनुष्यों की आंतरिक और बाहरी दुनिया के बारे में बात करते हैं, और अपनी समझ के अनुसार वेदों, उपनिषदों और वेदांत की विषय वस्तु के अर्थों के बारे में चर्चा करते हैं। यह संक्षिप्त कार्य पाठक को भारत की धार्मिक प्रणालियों और अद्वैत वेदांत के दर्शन पर वक्ता के विचारों का स्पष्ट भाव प्रदान करता है।
Source: राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: राष्ट्रीय पुस्तकालय
DC Field | Value |
dc.contributor.author | विवेकानंद |
dc.date.accessioned | 2014-03-11T05:55:27Z 2019-12-07T03:47:07Z |
dc.date.available | 2014-03-11T05:55:27Z 2019-12-07T03:47:07Z |
dc.description | यह स्वामी विवेकानंद द्वारा नवंबर 1897 में लाहौर में अद्वैत वेदांत पर दिया गया एक व्याख्यान है। इसे व्यापक प्रसार के लिए एक पुस्तिका के रूप में प्रकाशित किया गया है। यहाँ, स्वामी विवेकानंद मनुष्यों की आंतरिक और बाहरी दुनिया के बारे में बात करते हैं, और अपनी समझ के अनुसार वेदों, उपनिषदों और वेदांत की विषय वस्तु के अर्थों के बारे में चर्चा करते हैं। यह संक्षिप्त कार्य पाठक को भारत की धार्मिक प्रणालियों और अद्वैत वेदांत के दर्शन पर वक्ता के विचारों का स्पष्ट भाव प्रदान करता है। |
dc.source | राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता |
dc.format.extent | 73, 3 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | अद्वैत आश्रम, मायावती |
dc.subject | विवेकानंद, भाषण, लाहौर, व्याख्यान, अद्वैत वेदांत, धर्म, दर्शन |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1952 |
dc.identifier.accessionnumber | 295186 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | विवेकानंद |
dc.date.accessioned | 2014-03-11T05:55:27Z 2019-12-07T03:47:07Z |
dc.date.available | 2014-03-11T05:55:27Z 2019-12-07T03:47:07Z |
dc.description | यह स्वामी विवेकानंद द्वारा नवंबर 1897 में लाहौर में अद्वैत वेदांत पर दिया गया एक व्याख्यान है। इसे व्यापक प्रसार के लिए एक पुस्तिका के रूप में प्रकाशित किया गया है। यहाँ, स्वामी विवेकानंद मनुष्यों की आंतरिक और बाहरी दुनिया के बारे में बात करते हैं, और अपनी समझ के अनुसार वेदों, उपनिषदों और वेदांत की विषय वस्तु के अर्थों के बारे में चर्चा करते हैं। यह संक्षिप्त कार्य पाठक को भारत की धार्मिक प्रणालियों और अद्वैत वेदांत के दर्शन पर वक्ता के विचारों का स्पष्ट भाव प्रदान करता है। |
dc.source | राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता |
dc.format.extent | 73, 3 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | अद्वैत आश्रम, मायावती |
dc.subject | विवेकानंद, भाषण, लाहौर, व्याख्यान, अद्वैत वेदांत, धर्म, दर्शन |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1952 |
dc.identifier.accessionnumber | 295186 |
dc.format.medium | text |