तुलसी: जीवन का अमृत
तुलसी, जिसे अक्सर "अतुलनीय", "जीवन का अमृत" या "जड़ी-बूटियों की रानी" कहा जाता है, भारत की पैदाइश है और पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में इसकी खेती की जाती है। इसे "पवित्र तुलसी" भी कहा जाता है क्योंकि यह किंवदंतियों और मिथकों से घिरी हुई है। तुलसी का पौधा हिंदुओं द्वारा सर्वत्र पूजनीय है, और इसे स्वयं देवी का रूप माना जाता है। वास्तव में, कई घरों में यह आंगन के केंद्र में उगाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह किसी भी तरह के हानिकारक प्रभाव से घर का बचाव और सुरक्षा करती है। इसकी जीवाणुरोधी शक्तियों के कारण, घर के आसपास के क्षेत्र में तुलसी की उपस्थिति कीटाणुओं के प्रसार को रोकती है और वातावरण को साफ़ रखने में मदद करती है।
इस पौधे का प्रत्येक भाग किसी न किसी तरह के आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है - इसकी जड़ें धार्मिक तीर्थों का प्रतीक हैं, इसकी टहनियाँ देवत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं, और इसका सबसे ऊपरी हिस्सा शास्त्रों की समझ को दर्शाता है। इसके पत्ते निश्चित रूप से सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों में से एक हैं - खांसी, ठंड या छाती में जकड़न के लिए एक कारगर उपाय। हिंदू धर्म में, तुलसी को धूपबत्ती दिखाने और सिंदूर लगाकर एक देवी के रूप में भी पूजा जाता है। कई घरों में महिलाएँ सुबह-शाम इसकी पूजा करती हैं।
तुलसी: सभी बीमारियों के लिए एक कारगर उपाय
तुलसी को चाय बनाकर पीना, इसका सेवन करने का सबसे लोकप्रिय तरीका है। मुट्ठी भर पत्तियों को पहले उबालना चाहिए और लगभग 10 मिनट तक धीमी आँच पर खदकाना चाहिए। यह प्रक्रिया पत्तियों से इसके सारे गुण निकाल लेती है। इसके स्वाद को बढ़ाने के लिए, इसमें शहद या नींबू मिलाया जा सकता है। यह मिश्रण केवल एक प्रतिरक्षा वर्धक की तरह काम नहीं करता बल्कि ये खांसी, जुकाम, त्वचा संबंधी विकार जैसे मुँहासे, मुँह के छाले और यहाँ तक कि रक्त-शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। तुलसी को रक्त शोधक माना जाता है। तुलसी के पत्तों के बारे में एक उल्टा पक्ष यह है कि उन्हें चबाया नहीं जाना चाहिए, क्योंकि उसमें पारा और लोहे की एक बड़ी मात्रा होती है, जो चबाने से निकलती है। पौधे का धार्मिक महत्व एक और कारक है जो लोगों को इसे चबाने से रोकता है। यह एक अमृत है जो दीर्घायु देता है, और इसकी अजेय औषधीय शक्तियाँ इसे चमत्कारी जड़ी बूटी बनाती हैं जो अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण प्रदान करती है। हालांकि, भोजन की दुनिया में इसके उपयोग को केवल सजावट तक ही समेट दिया गया जिसे ज़्यादातर खाना खाने के बाद थाली में छोड़ा दिया जाता है। लेकिन यह एक निर्विवाद तथ्य है कि प्रकृति के सभी परोपकारों और आशीर्वादों के बीच, तुलसी के पौधे को पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली आरोग्यासाधकों में से एक माना जाता है!