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  इंदौर की गलियों के मीठे और तीखे स्वाद

इंदौर शहर एक समृद्ध विरासत और एक अतुल्य सांस्कृतिक मिश्रण से परिपूर्ण है। यहाँ का भोजन इस विविधता को प्रकट करने वाली एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक वस्तु है। शहर का स्ट्रीट फ़ूड देश भर में बेहद लोकप्रिय है और इसमें गुजराती, राजस्थानी और मराठी प्रभावों का मिश्रण है। होलकर घराने के शासन के दौरान यहाँ के पाक क्षेत्र में बड़े नवप्रवर्तन हुए। इस घराने का प्रभाव यहाँ की भोजन प्रथाओं के साथ-साथ शहर के लोगों के जीवन के तरीकों में भी दिखाई देता है।

इंदौर का छप्पन दुकान बाज़ार और सर्राफ़ा बाज़ार भोजन प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय है। ये दोनों बाज़ार कई तरह के व्यंजन पेश करते हैं। सर्राफ़ा बाज़ार दिन के समय एक आभूषण बाज़ार है और रात्रि के समय स्ट्रीट फ़ूड प्रेमियों का आश्रय-स्थल बन जाता है। यहाँ के परिवेश में, रात 9 बजे के बाद, पूर्ण परिवर्तन हो जाता है और यह रात्रिकालीन पाक कौतुक के लिए एक आदर्श स्थल बन जाता है। 56 प्रकार के भोजन की दुकानें वाले छप्पन दुकान क्षेत्र को तो एफ़एसएसएआई (FSSAI) ने "स्वच्छ स्ट्रीट फ़ूड केंद्र" (क्लीन स्ट्रीट फ़ूड हब) घोषित कर दिया है।

पोहा (जिसे पोहे भी कहा जाता है) शहर का चिह्नक व्यंजन है और नाश्ते का एक पौष्टिक विकल्प भी है। यह पूरे शहर में सुबह के समय बेचा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इंदौर का, पोहा से परिचय उसके विजेताओं द्वारा उपहारस्वरूप कराया गया था। कहा जाता है कि प्रारंभिक रूप से इस व्यंजन का उद्भव महाराष्ट्र में हुआ था। जब होल्कर और सिंधिया (मराठा शासक/वंश) महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश आए, तो वे पोहा और श्रीखंड जैसे व्यंजन मालवा क्षेत्र में अपने साथ ले आए। सौंफ, मूंगफली और जीरावन मसाला नामक एक विशेष मसाले के उपयोग के कारण इंदौर का पोहा तीखा और मीठा होता है। यह मसाला इसे अनोखा स्वाद प्रदान करता है। पोहा की अन्य सामग्री में राई, जीरा, करी पत्ते, प्याज़ और हरी मिर्च शामिल हैं। इसे बनाने का तरीका आमतौर पर देश के अन्य हिस्सों में प्रचलित तरीके के समान ही है। इंदौर का पोहा इसकी सजावट और इसे परोसे जाने के तरीके के लिए प्रसिद्ध है। पोहा को अक्सर कटी हुई धनिया पत्ती, प्याज़, अनार के दानों, और सेव के साथ सजाया जाता है और गर्मा-गर्म परोसा जाता है। ऊपर से डाले जाने वाली चीज़ें व्यंजन को मीठे, तीखे और कुरकुरे स्वादों का सहज मिश्रण प्रदान करती हैं। स्थानीय लोग पोहे का आनंद गर्म जलेबियों के साथ लेते हैं! इंदौर में पोहे के लिए एक शानदार जगह है हेड साहब के पोहे जो, वास्तव में, ओल्ड पलासिया में नवनीत टॉवर के बाहर एक छोटी ठेला गाड़ी है।

Poha-jalebi

पोहा-जलेबी

Bhutte-ka-Kees

भुट्टे-का-कीस

इंदौर के भुट्टे-का-कीस का बारिश के मौसम के दौरान शाम के नाश्ते के रूप में आनंद लिया जाता है। इसे एक संगत व्यंजन, क्षुधावर्धक और यहाँ तक ​​कि नाश्ते के तौर पर भी खाया जाता है। भुट्टा का अर्थ है मकई, और कीस का अर्थ है कद्दूकस किया हुआ। यह पारंपरिक रूप से भुट्टे के डंठल से मकई के दानों को कद्दूकस कर, उसे हल्के मसालों के साथ घी में भूनकर और फिर इसमें मलाईदार गाढ़ापन लाने के लिए दूध में उबालकर बनाया जाता है। इसे नींबू का रस, कटी हुई धनिया पत्ती और कद्दूकस किए हुए ताज़े नारियल के साथ सजाने के बाद गर्मा-गर्म परोसा जाता है। कहा जाता है कि इस पौष्टिक व्यंजन का उद्भव इंदौर में हुआ था। सर्राफ़ा बाज़ार में साँवरिया का भुट्टे का कीस इस स्थानीय व्यंजन का आनंद लेने के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।

इंदौर की खोपरा पैटी मसालेदार, चटपटी और मीठे नारियल और सूखे मेवों से भरी हुई कुरकुरी आलू की पैटी है। यह तकियानुमा-मुलायम और भरवाँ मसले हुए आलू की पैटी, लोकप्रिय आलू पैटी का एक उन्नत रूप है। उबले हुए आलू को मसल कर मकई के आटे, नमक और काली मिर्च के साथ मिश्रित किया जाता है। खोपरा, यानि सूखे नारियल के बुरादे को कद्दूकस किए हुए अदरक, धनिया पत्ती, मिर्च, अमचूर, किशमिश, मेवे और हल्के नमक के साथ मिलाया जाता है। मसले हुए आलू के छोटे गोले बनाए जाते हैं और उनके बीच में नारियल मिश्रण को भरा जाता है। इन गोलों को फिर तेल में भूरे रंग का होने तक तला जाता है। फिर उन्हें इमली और हरी चटनी के साथ परोसा जाता है। छप्पन दुकान में विजय चाट हाउस, इंदौर के इस स्ट्रीट फ़ूड व्यंजन के लिए एक अच्छी दुकान है।

Khopra-patties

खोपरा-पैटीज़

Dal Bafla

दाल बाफला

दाल बाफला मालवा संस्कृति पर मारवाड़ी प्रभाव का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। यह नाश्ता राजस्थान की प्रसिद्ध दाल बाटी का स्थानीय रूपांतर है। बाफला हाथ से बनाई हुई गेहूं के आटे की लोई है जिसे घी में पकाया जाता है। बाटी की तुलना में यह नरम होता है। बाफला बनाने के लिए लगभग बाटी के समान ही सामग्रियों का प्रयोग होता है, बस इसमें थोड़ा मकई का आटा मिलाया जाता है। इसे साधारण हींग के ज़ायके वाली अरहर दाल अथवा मालवा दाल के साथ परोसा जाता है, और इसका इंदौर में पौष्टिक भोजन और एक लोकप्रिय नाश्ते के रूप में आनंद लिया जाता है। नाश्ते के रूप में परोसते समय इसे कुचल कर घी में डुबाया जाता है और इसका स्वाद बढ़ाने के लिए इसे धनिया-पुदीने की चटनी और आम के अचार के साथ परोसा जाता है।

सर्राफ़ा बाज़ार में, जोशी दही बड़ा हाउस नामक दुकान अपने उड़न दही-बड़ों के लिए लोकप्रिय है। ये मथे हुए दही और मसालों के साथ परोसे जाने वाले, तले हुए मूंग दाल के बड़े पूरे भारत में लोकप्रिय हैं। परंतु इंदौर के सर्राफ़ा बाज़ार में दही-बड़े उनके परोसे जाने के तरीके के कारण प्रसिद्ध हैं । जोशी जी को अपने ग्राहकों के लिए उनके प्रसिद्ध दही-बड़े की थाली तैयार करते हुए देखने के लिए लोग इस जगह पर आते हैं। उनके पास दही-बड़े की थाली तैयार करने की एक अनोखी तकनीक है। वह एक बूंद भी बिना गिराए, बड़े को दही के साथ दो बार ऊपर घूमाते हैं। फिर वह इसमें पाँच अलग-अलग मसाले मिलाते हैं।

Dahi Bada

दही बड़ा

Fried Garadu

तले हुए गराडू

तला हुआ गराडू, आलू-की-चाट का एक कुरकुरा और तीखा रूपांतर है। इंदौर का यह विशेष व्यंजन सर्दियों के समय लोकप्रिय होता है और यह अपनी पौष्टिकता के लिए जाना जाता है। गराडू, एक प्रकार का जिमीकंद है जिसे चौकोर टुकड़ो में काटकर और सुनहरे भूरे रंग का होने तक तेल में तला जाता है। फिर इस नाश्ते को कटी हुई धनिया की पत्तियों से सजाकर एवं जिरालू नामक विशेष चाट मसाले और खूब सरे नींबू के रस के साथ परोसा जाता है। सर्राफ़ा बाज़ार इस स्ट्रीट फ़ूड का आनंद लेने के लिए मुख्य स्थान है।

इंदौर की शिकंजी गाढ़े दूध और छाछ का मिश्रण होती है। इसे केसर, इलाइची और जावित्री और जायफल जैसे सुगंधित मसालों द्वारा स्वादिष्ट बनाया जाता है। सूखे मेवों और मसालों से युक्त दूध का यह गाढ़ा, मलाईदार मिश्रण, देश के अन्य हिस्सों में पी जाने वाली तीखी नींबू वाली शिकंजी से पूणतः अलग है। यह दूध आधारित शीतलन पेय मूल नींबू शिकंजी से, स्वाद और रचना में भिन्न होता है।छप्पन दुकान क्षेत्र में मधुरम स्वीट्स इस पेय का स्वाद लेने के लिए एक अत्यधिक लोकप्रिय स्थान है। इसे बनाने के लिए पूर्ण वसा युक्त दूध को तब तक उबाला जाता है जब तक दूध संघनित हो कर उस की आधी मात्रा के बराबर न हो जाए। उबलते दूध में केसर भी मिलाया जाता है। दूध के संघनित होने पर इसमें इलायची और चीनी मिला दी जाती है। फिर इसे ठंडा होने के लिए अलग रख दिया जाता है। अंत में, इस गाढ़े दूध में गाढ़ा, पानी रहित, दही मिलाया जाता है और मलाईदार होने तक इसे मथा जाता है।

Shikanji

शिकंजी

Jaleba-rabdi

जलेब-रबड़ी

जलेबा, जैसा कि नाम से विदित है, भारतीय जलेबी का संवर्धित रूप है। यह इंदौर की बहुत लोकप्रिय मिठाई है। एक जलेबा का वज़न लगभग 700 ग्राम होता है! जलेबी का यह अति-बड़ा रूप केसर युक्त स्वाद वाला होता है और इसे इंदौर में रबड़ी के साथ परोसा जाता है। ठंडी रबड़ी के साथ कुरकुरे गर्म जलेबा का संयोजन इंदौर का सबसे पसंदीदा स्ट्रीट फ़ूड है। सर्राफ़ा बाज़ार का जय भोले जलेबी भंडार इस स्वादिष्ट व्यंजन के लिए प्रसिद्ध है।

शहर के प्रसिद्ध नमकीनों के बिना इंदौर का भोजन अधूरा है। इंदौर में कई प्रकार के नमकीन मिलते हैं और ये लगभग हर भोजन का हिस्सा होते हैं। इंदौर के नमकीन, बंद पैकेटों के साथ-साथ खुले रूप में भी बेचे जाते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध सेव को चने के आटे एवं हल्दी, हींग, लौंग और विशेष इंदौरी मसालों के साथ तैयार किया जाता है। इसे तेल में तला जाता है। सेव को नाश्ते के रूप में खाया जाता है और साथ ही अन्य व्यंजनों के ऊपर सजावट के रूप में उपयोग किया जाता है। बाज़ार में मिलने वाली कुछ किस्में हैं: रतलामी सेव, हींग सेव, लौंग सेव, सादा सेव, पालक सेव, आदि।

Indore’s Sev

इंदौर का सेव

इंदौर के पास शायद भारत का सबसे बेहतरीन स्ट्रीट फ़ूड का ख़ज़ाना है। यह शहर स्थानीय लोगों और पर्यटकों, दोनों प्रकार के भोजन प्रेमियों के लिए एक दावत पेश करता है।