Author: पिल्लई, पी. पद्मनाभ
Keywords: भारत का कृषि उद्योग, भारतीय अर्थव्यवस्था का इतिहास, भारत में औद्योगिक विकास
Publisher: जॉर्ज रूटलेज, लंदन
Description: इस पुस्तक में औद्योगिक संगठन के विशेष संदर्भ के साथ भारत के आर्थिक जीवन का विस्तृत अध्ययन शामिल है। लेखक आधुनिक तर्ज पर भारतीय उद्योगों के विकास की संभावनाओं का विश्लेषण करने का भी प्रयास करता है। पुस्तक के तीन भाग हैं। पहले भाग में भारत के औद्योगिक अतीत, उसकी सीमाओं और बड़े पैमाने पर विनिर्माण की मांग की जांच शामिल है। दूसरा भाग कृषि के उसके मूल चरणों से संबंधित है और तीसरा भाग औद्योगिक स्थिति की निष्पक्ष रूप से जांच करता है। इसमें औद्योगिक संगठन, बड़े पैमाने पर उत्पादन, कपास-मिल उद्योग, लोहा और इस्पात उत्पादन, राज्य और उद्योग, और उद्योग का वित्तपोषण शामिल है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | पिल्लई, पी. पद्मनाभ |
dc.date.accessioned | 2017-05-05T13:01:50Z 2018-06-07T03:07:34Z |
dc.date.available | 2017-05-05T13:01:50Z 2018-06-07T03:07:34Z |
dc.description | इस पुस्तक में औद्योगिक संगठन के विशेष संदर्भ के साथ भारत के आर्थिक जीवन का विस्तृत अध्ययन शामिल है। लेखक आधुनिक तर्ज पर भारतीय उद्योगों के विकास की संभावनाओं का विश्लेषण करने का भी प्रयास करता है। पुस्तक के तीन भाग हैं। पहले भाग में भारत के औद्योगिक अतीत, उसकी सीमाओं और बड़े पैमाने पर विनिर्माण की मांग की जांच शामिल है। दूसरा भाग कृषि के उसके मूल चरणों से संबंधित है और तीसरा भाग औद्योगिक स्थिति की निष्पक्ष रूप से जांच करता है। इसमें औद्योगिक संगठन, बड़े पैमाने पर उत्पादन, कपास-मिल उद्योग, लोहा और इस्पात उत्पादन, राज्य और उद्योग, और उद्योग का वित्तपोषण शामिल है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 352p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | जॉर्ज रूटलेज, लंदन |
dc.subject | भारत का कृषि उद्योग, भारतीय अर्थव्यवस्था का इतिहास, भारत में औद्योगिक विकास |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1925 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000801 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | पिल्लई, पी. पद्मनाभ |
dc.date.accessioned | 2017-05-05T13:01:50Z 2018-06-07T03:07:34Z |
dc.date.available | 2017-05-05T13:01:50Z 2018-06-07T03:07:34Z |
dc.description | इस पुस्तक में औद्योगिक संगठन के विशेष संदर्भ के साथ भारत के आर्थिक जीवन का विस्तृत अध्ययन शामिल है। लेखक आधुनिक तर्ज पर भारतीय उद्योगों के विकास की संभावनाओं का विश्लेषण करने का भी प्रयास करता है। पुस्तक के तीन भाग हैं। पहले भाग में भारत के औद्योगिक अतीत, उसकी सीमाओं और बड़े पैमाने पर विनिर्माण की मांग की जांच शामिल है। दूसरा भाग कृषि के उसके मूल चरणों से संबंधित है और तीसरा भाग औद्योगिक स्थिति की निष्पक्ष रूप से जांच करता है। इसमें औद्योगिक संगठन, बड़े पैमाने पर उत्पादन, कपास-मिल उद्योग, लोहा और इस्पात उत्पादन, राज्य और उद्योग, और उद्योग का वित्तपोषण शामिल है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 352p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | जॉर्ज रूटलेज, लंदन |
dc.subject | भारत का कृषि उद्योग, भारतीय अर्थव्यवस्था का इतिहास, भारत में औद्योगिक विकास |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1925 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000801 |
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