Author: जेस्पर्सन, ओटो
Keywords: अंग्रेज़ी भाषा, शब्द-व्युत्पत्तिशास्त्र, पुरानी अंग्रेज़ी, नवीन अंग्रेज़ी, मर्दानी भाषा
Publisher: ट्यूबनर, लंदन
Description: ओटो जेस्पर्सन द्वारा लिखित, यह पुस्तक अंग्रेज़ी भाषा के विकास और संरचना का पता लगाती है। पुस्तक अंग्रेज़ी भाषा की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालती है और इसकी संरचना में इसकी विशेषताओं के विकास और महत्व की व्याख्या करती है, जिसका स्थायी महत्व रहा है। आगे, यह अंग्रेज़ी के नवीन रूपों के साथ पुरानी अंग्रेज़ी के संबंध पर परिचर्चा करती है। पुस्तक के उत्तरार्ध में, लेखक व्याख्या करता है कि वह क्यों सोचता है कि अंग्रेज़ी भाषा एक मर्दानी भाषा है और बचकानेपन और स्त्रैण गुणों के सभी लक्षणों से रहित है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | जेस्पर्सन, ओटो |
dc.date.accessioned | 2018-08-04T05:31:46Z |
dc.date.available | 2018-08-04T05:31:46Z |
dc.description | ओटो जेस्पर्सन द्वारा लिखित, यह पुस्तक अंग्रेज़ी भाषा के विकास और संरचना का पता लगाती है। पुस्तक अंग्रेज़ी भाषा की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालती है और इसकी संरचना में इसकी विशेषताओं के विकास और महत्व की व्याख्या करती है, जिसका स्थायी महत्व रहा है। आगे, यह अंग्रेज़ी के नवीन रूपों के साथ पुरानी अंग्रेज़ी के संबंध पर परिचर्चा करती है। पुस्तक के उत्तरार्ध में, लेखक व्याख्या करता है कि वह क्यों सोचता है कि अंग्रेज़ी भाषा एक मर्दानी भाषा है और बचकानेपन और स्त्रैण गुणों के सभी लक्षणों से रहित है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 260 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | ट्यूबनर, लंदन |
dc.subject | अंग्रेज़ी भाषा, शब्द-व्युत्पत्तिशास्त्र, पुरानी अंग्रेज़ी, नवीन अंग्रेज़ी, मर्दानी भाषा |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1905 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001542 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | जेस्पर्सन, ओटो |
dc.date.accessioned | 2018-08-04T05:31:46Z |
dc.date.available | 2018-08-04T05:31:46Z |
dc.description | ओटो जेस्पर्सन द्वारा लिखित, यह पुस्तक अंग्रेज़ी भाषा के विकास और संरचना का पता लगाती है। पुस्तक अंग्रेज़ी भाषा की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालती है और इसकी संरचना में इसकी विशेषताओं के विकास और महत्व की व्याख्या करती है, जिसका स्थायी महत्व रहा है। आगे, यह अंग्रेज़ी के नवीन रूपों के साथ पुरानी अंग्रेज़ी के संबंध पर परिचर्चा करती है। पुस्तक के उत्तरार्ध में, लेखक व्याख्या करता है कि वह क्यों सोचता है कि अंग्रेज़ी भाषा एक मर्दानी भाषा है और बचकानेपन और स्त्रैण गुणों के सभी लक्षणों से रहित है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 260 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | ट्यूबनर, लंदन |
dc.subject | अंग्रेज़ी भाषा, शब्द-व्युत्पत्तिशास्त्र, पुरानी अंग्रेज़ी, नवीन अंग्रेज़ी, मर्दानी भाषा |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1905 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001542 |
dc.format.medium | text |