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गुरुदेव टैगोर

Author: मोरडिया, एच.एस.

Keywords: श्रद्धांजलि, रबींद्रनाथ टैगोर, साहित्य, संगीत, कला

Publisher: मोरडिया बुक हाउस, उदयपुर

Description: एच. एस. मोरडिया द्वारा लिखित यह पुस्तक रबींद्रनाथ टैगोर के जीवन और उनकी शिक्षाओं का लेखा-जोखा है। यह मानवता और सत्य के सबसे महान सेवक की मृत्यु का शोक मनाती है। यह पुस्तक टैगोर को सुदूर राजपुताना से उनके एक अनुयायी द्वारा दी गई श्रद्धांजलि के रूप में कार्य करती है, जो उनके अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करती है। यह लोगों की उन भावनाओं को पुन: प्रस्तुत करने का प्रयास है, जिसने पूरे वातावरण को आवेशित कर दिया था और जो पूरी दुनिया में गुंजायमान थीं।

Source: राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: राष्ट्रीय पुस्तकालय


DC Field Value
dc.contributor.author मोरडिया, एच.एस.
dc.date.accessioned 2014-03-11T05:55:27Z
2019-12-07T03:47:06Z
dc.date.available 2014-03-11T05:55:27Z
2019-12-07T03:47:06Z
dc.description एच. एस. मोरडिया द्वारा लिखित यह पुस्तक रबींद्रनाथ टैगोर के जीवन और उनकी शिक्षाओं का लेखा-जोखा है। यह मानवता और सत्य के सबसे महान सेवक की मृत्यु का शोक मनाती है। यह पुस्तक टैगोर को सुदूर राजपुताना से उनके एक अनुयायी द्वारा दी गई श्रद्धांजलि के रूप में कार्य करती है, जो उनके अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करती है। यह लोगों की उन भावनाओं को पुन: प्रस्तुत करने का प्रयास है, जिसने पूरे वातावरण को आवेशित कर दिया था और जो पूरी दुनिया में गुंजायमान थीं।
dc.source राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता
dc.format.extent xi, 70 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher मोरडिया बुक हाउस, उदयपुर
dc.relation.ispartofseries Pratap the Great Book Series; no.4
dc.subject श्रद्धांजलि, रबींद्रनाथ टैगोर, साहित्य, संगीत, कला
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1942
dc.identifier.accessionnumber IMP2024
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.contributor.author मोरडिया, एच.एस.
dc.date.accessioned 2014-03-11T05:55:27Z
2019-12-07T03:47:06Z
dc.date.available 2014-03-11T05:55:27Z
2019-12-07T03:47:06Z
dc.description एच. एस. मोरडिया द्वारा लिखित यह पुस्तक रबींद्रनाथ टैगोर के जीवन और उनकी शिक्षाओं का लेखा-जोखा है। यह मानवता और सत्य के सबसे महान सेवक की मृत्यु का शोक मनाती है। यह पुस्तक टैगोर को सुदूर राजपुताना से उनके एक अनुयायी द्वारा दी गई श्रद्धांजलि के रूप में कार्य करती है, जो उनके अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करती है। यह लोगों की उन भावनाओं को पुन: प्रस्तुत करने का प्रयास है, जिसने पूरे वातावरण को आवेशित कर दिया था और जो पूरी दुनिया में गुंजायमान थीं।
dc.source राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता
dc.format.extent xi, 70 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher मोरडिया बुक हाउस, उदयपुर
dc.relation.ispartofseries Pratap the Great Book Series; no.4
dc.subject श्रद्धांजलि, रबींद्रनाथ टैगोर, साहित्य, संगीत, कला
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1942
dc.identifier.accessionnumber IMP2024
dc.format.medium text