Keywords: धर्म, धर्म ग्रंथ, धार्मिक अध्ययन, धार्मिक ग्रंथ
Publisher: द काशी विद्या-पीठ, बनारस
Description: इस पुस्तक की उत्पत्ति का श्रेय 1930 में प्रथम अखिल एशिया शिक्षा सम्मेलन में श्री भगवान दास द्वारा प्रस्तुत एक शोध-पत्र को दिया जाता है। यहाँ, लेखक विभिन्न धर्मों और उनकी समानताओं को एक साथ लाने की कोशिश करता है। लेखक ने धर्मों के बीच समानता साबित करने के लिए विभिन्न शास्त्रों का अध्ययन किया है। इस पुस्तक का सार यह साबित करना है कि हर धर्म का मूल विश्वास शांति और समझ को बढ़ावा देना है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributr.compiler | Das, Bhagavan |
dc.date.accessioned | 2017-05-02T11:36:18Z 2018-06-07T05:07:35Z |
dc.date.available | 2017-05-02T11:36:18Z 2018-06-07T05:07:35Z |
dc.description | इस पुस्तक की उत्पत्ति का श्रेय 1930 में प्रथम अखिल एशिया शिक्षा सम्मेलन में श्री भगवान दास द्वारा प्रस्तुत एक शोध-पत्र को दिया जाता है। यहाँ, लेखक विभिन्न धर्मों और उनकी समानताओं को एक साथ लाने की कोशिश करता है। लेखक ने धर्मों के बीच समानता साबित करने के लिए विभिन्न शास्त्रों का अध्ययन किया है। इस पुस्तक का सार यह साबित करना है कि हर धर्म का मूल विश्वास शांति और समझ को बढ़ावा देना है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | lv, 683p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | द काशी विद्या-पीठ, बनारस |
dc.subject | धर्म, धर्म ग्रंथ, धार्मिक अध्ययन, धार्मिक ग्रंथ |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1939 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000267 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributr.compiler | Das, Bhagavan |
dc.date.accessioned | 2017-05-02T11:36:18Z 2018-06-07T05:07:35Z |
dc.date.available | 2017-05-02T11:36:18Z 2018-06-07T05:07:35Z |
dc.description | इस पुस्तक की उत्पत्ति का श्रेय 1930 में प्रथम अखिल एशिया शिक्षा सम्मेलन में श्री भगवान दास द्वारा प्रस्तुत एक शोध-पत्र को दिया जाता है। यहाँ, लेखक विभिन्न धर्मों और उनकी समानताओं को एक साथ लाने की कोशिश करता है। लेखक ने धर्मों के बीच समानता साबित करने के लिए विभिन्न शास्त्रों का अध्ययन किया है। इस पुस्तक का सार यह साबित करना है कि हर धर्म का मूल विश्वास शांति और समझ को बढ़ावा देना है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | lv, 683p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | द काशी विद्या-पीठ, बनारस |
dc.subject | धर्म, धर्म ग्रंथ, धार्मिक अध्ययन, धार्मिक ग्रंथ |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1939 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000267 |
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