Author: बनर्जी, गौरंग नाथ
Keywords: इतिहास, यूनानी, भारत, प्राचीन भारत,
Publisher: बटरवर्थ, कलकत्ता
Description: गौरंग नाथ बनर्जी द्वारा लिखित ‘हेलेनिज़्म इन एंशियंट इंडिया’ वर्ष 1919 में प्रकाशित हुई थी। पुस्तक की विषय वस्तु चौदह अध्यायों में विभाजित है। लेखक भारतीय वास्तुकला, पेशावर घाटी में प्राचीन यूनानी (हेलेनिस्टिक) वास्तुकला की खोज, और भारत-यूनानी वास्तुकला के भौगोलिक वितरण के बारे में बताते हुए पुस्तक का आरंभ करता है। लेखक आगे यूनानी-बौद्ध शैली की अवधि और भारतीय कला पर इसके प्रभाव का उल्लेख करता है। फ़िर पाठक को भारत की मूर्तिकलाओं, विशेष रूप से बौद्ध और गांधार शैलियों के बाद की मूर्तिकलाओं, से परिचित कराया जाता है। इसके अलावा, लेखक, मुख्य रूप से धार्मिक भारतीय चित्रकलाओं, अजंता की गुफ़ाओं और रोमन तहखानों, बौद्ध मठों की स्वदेशी चित्रकला शैली, भारतीय खगोल विद्या, और सिकंदरी संप्रदायों के कारण इसके विकास का उल्लेख करता है। पुस्तक गणित, चिकित्सा, लेखन की कला, साहित्य, नाटक, धर्म, दर्शन, पौराणिक कथाओं, और दंतकथाओं पर भी विषय वस्तु प्रदान करती है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | बनर्जी, गौरंग नाथ |
dc.coverage.spatial | India |
dc.date.accessioned | 2018-07-19T06:10:54Z |
dc.date.available | 2018-07-19T06:10:54Z |
dc.description | गौरंग नाथ बनर्जी द्वारा लिखित ‘हेलेनिज़्म इन एंशियंट इंडिया’ वर्ष 1919 में प्रकाशित हुई थी। पुस्तक की विषय वस्तु चौदह अध्यायों में विभाजित है। लेखक भारतीय वास्तुकला, पेशावर घाटी में प्राचीन यूनानी (हेलेनिस्टिक) वास्तुकला की खोज, और भारत-यूनानी वास्तुकला के भौगोलिक वितरण के बारे में बताते हुए पुस्तक का आरंभ करता है। लेखक आगे यूनानी-बौद्ध शैली की अवधि और भारतीय कला पर इसके प्रभाव का उल्लेख करता है। फ़िर पाठक को भारत की मूर्तिकलाओं, विशेष रूप से बौद्ध और गांधार शैलियों के बाद की मूर्तिकलाओं, से परिचित कराया जाता है। इसके अलावा, लेखक, मुख्य रूप से धार्मिक भारतीय चित्रकलाओं, अजंता की गुफ़ाओं और रोमन तहखानों, बौद्ध मठों की स्वदेशी चित्रकला शैली, भारतीय खगोल विद्या, और सिकंदरी संप्रदायों के कारण इसके विकास का उल्लेख करता है। पुस्तक गणित, चिकित्सा, लेखन की कला, साहित्य, नाटक, धर्म, दर्शन, पौराणिक कथाओं, और दंतकथाओं पर भी विषय वस्तु प्रदान करती है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | viii, 373p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | बटरवर्थ, कलकत्ता |
dc.subject | इतिहास, यूनानी, भारत, प्राचीन भारत, |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1919 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-002639 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | बनर्जी, गौरंग नाथ |
dc.coverage.spatial | India |
dc.date.accessioned | 2018-07-19T06:10:54Z |
dc.date.available | 2018-07-19T06:10:54Z |
dc.description | गौरंग नाथ बनर्जी द्वारा लिखित ‘हेलेनिज़्म इन एंशियंट इंडिया’ वर्ष 1919 में प्रकाशित हुई थी। पुस्तक की विषय वस्तु चौदह अध्यायों में विभाजित है। लेखक भारतीय वास्तुकला, पेशावर घाटी में प्राचीन यूनानी (हेलेनिस्टिक) वास्तुकला की खोज, और भारत-यूनानी वास्तुकला के भौगोलिक वितरण के बारे में बताते हुए पुस्तक का आरंभ करता है। लेखक आगे यूनानी-बौद्ध शैली की अवधि और भारतीय कला पर इसके प्रभाव का उल्लेख करता है। फ़िर पाठक को भारत की मूर्तिकलाओं, विशेष रूप से बौद्ध और गांधार शैलियों के बाद की मूर्तिकलाओं, से परिचित कराया जाता है। इसके अलावा, लेखक, मुख्य रूप से धार्मिक भारतीय चित्रकलाओं, अजंता की गुफ़ाओं और रोमन तहखानों, बौद्ध मठों की स्वदेशी चित्रकला शैली, भारतीय खगोल विद्या, और सिकंदरी संप्रदायों के कारण इसके विकास का उल्लेख करता है। पुस्तक गणित, चिकित्सा, लेखन की कला, साहित्य, नाटक, धर्म, दर्शन, पौराणिक कथाओं, और दंतकथाओं पर भी विषय वस्तु प्रदान करती है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | viii, 373p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | बटरवर्थ, कलकत्ता |
dc.subject | इतिहास, यूनानी, भारत, प्राचीन भारत, |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1919 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-002639 |
dc.format.medium | text |