Author: जेकब, जी.ए.
Editor: Jacob, G.A.
Keywords: सवेर्श्वरवाद, हिंदू पौराणिक कथाएँ, वेदांत दर्शन, भारतीय दर्शन के मत, वेदांतसार
Publisher: ट्रबनर, लंदन
Description: जी. ए. जेकब द्वारा लिखित यह पुस्तक वेदांत दर्शन द्वारा प्रतिपादित धारणाओं के माध्यम से हिंदू सवेर्श्वरवाद के बारे में स्पष्ट और यथार्थपूर्ण विचार प्रस्तुत करती है। इसने अपने चौदह अलग-अलग अनुभागों में वेदांत पर विस्तृत अध्ययन सम्मिलित किया है। पुस्तक में विभिन्न विद्वानों द्वारा लिखित लेखों का संग्रह, अनुवाद के कार्य, निबंधों के अंश और शोध भी उपलब्ध हैं। इन विद्वत्तापूर्ण संसाधनों में भारत के बारे में विकासमूलक सभ्यता के रूप में अविश्वसनीय विचार हैं, जिनमें बौद्ध धर्म को भारतीय संस्कृति और मूल्यों का पूर्वकालीन संरक्षक होने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | जेकब, जी.ए. |
dc.contributor.editor | Jacob, G.A. |
dc.date.accessioned | 2019-02-23T15:12:36Z |
dc.date.available | 2019-02-23T15:12:36Z |
dc.description | जी. ए. जेकब द्वारा लिखित यह पुस्तक वेदांत दर्शन द्वारा प्रतिपादित धारणाओं के माध्यम से हिंदू सवेर्श्वरवाद के बारे में स्पष्ट और यथार्थपूर्ण विचार प्रस्तुत करती है। इसने अपने चौदह अलग-अलग अनुभागों में वेदांत पर विस्तृत अध्ययन सम्मिलित किया है। पुस्तक में विभिन्न विद्वानों द्वारा लिखित लेखों का संग्रह, अनुवाद के कार्य, निबंधों के अंश और शोध भी उपलब्ध हैं। इन विद्वत्तापूर्ण संसाधनों में भारत के बारे में विकासमूलक सभ्यता के रूप में अविश्वसनीय विचार हैं, जिनमें बौद्ध धर्म को भारतीय संस्कृति और मूल्यों का पूर्वकालीन संरक्षक होने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। |
dc.format.extent | x, 129 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | ट्रबनर, लंदन |
dc.relation.ispartofseries | Trubner's Oriental Series |
dc.subject | सवेर्श्वरवाद, हिंदू पौराणिक कथाएँ, वेदांत दर्शन, भारतीय दर्शन के मत, वेदांतसार |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1888 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000221 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | जेकब, जी.ए. |
dc.contributor.editor | Jacob, G.A. |
dc.date.accessioned | 2019-02-23T15:12:36Z |
dc.date.available | 2019-02-23T15:12:36Z |
dc.description | जी. ए. जेकब द्वारा लिखित यह पुस्तक वेदांत दर्शन द्वारा प्रतिपादित धारणाओं के माध्यम से हिंदू सवेर्श्वरवाद के बारे में स्पष्ट और यथार्थपूर्ण विचार प्रस्तुत करती है। इसने अपने चौदह अलग-अलग अनुभागों में वेदांत पर विस्तृत अध्ययन सम्मिलित किया है। पुस्तक में विभिन्न विद्वानों द्वारा लिखित लेखों का संग्रह, अनुवाद के कार्य, निबंधों के अंश और शोध भी उपलब्ध हैं। इन विद्वत्तापूर्ण संसाधनों में भारत के बारे में विकासमूलक सभ्यता के रूप में अविश्वसनीय विचार हैं, जिनमें बौद्ध धर्म को भारतीय संस्कृति और मूल्यों का पूर्वकालीन संरक्षक होने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। |
dc.format.extent | x, 129 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | ट्रबनर, लंदन |
dc.relation.ispartofseries | Trubner's Oriental Series |
dc.subject | सवेर्श्वरवाद, हिंदू पौराणिक कथाएँ, वेदांत दर्शन, भारतीय दर्शन के मत, वेदांतसार |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1888 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000221 |
dc.format.medium | text |