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फ़ौंगपुई त्लांग - मिज़ोरम का शानदार नीला पर्वत

Gingee hill

अइज़ोल, मिज़ोरम, के ऊपर मेघाच्छादित आकाश। छवि स्रोत : विकिमीडिया कॉमन्स

पूर्वोत्तर भारत में सात राज्य हैं जिन्हें ‘सात बहनें’ भी कहा जाता है। मिज़ोरम इन्हीं सात राज्यों में से एक है। ‘मिज़ोरम’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘मि’ (लोग), ‘ज़ो’ (ऊँचा स्थान या पहाड़ी), और ‘रम’ (भूमि) से हुई है। मोटे तौर पर इसका अर्थ “पहाड़ी लोगों की भूमि” है। मिज़ोरम राज्य को वर्ष 1972 में भूतपूर्व असम प्रदेश से पृथक् कर एक स्वतंत्र भारतीय राज्य का दर्जा दिया गया था। इस राज्य में विविध संस्कृतियों, भोजन पद्धतियों, भाषाओं, धर्मों, रिवाजों, बोलियों, और प्राकृतिक विवधता का सम्मिश्रण देखा जा सकता है।

मिज़ोरम की 95% आबादी जनजातीय समुदायों से संबंधित है। ऐतिहासिक तौर पर, एवं लगभग 16वीं शताब्दी से, भारत के पड़ोसी राज्यों तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के दूरवर्ती क्षेत्रों के जनजातीय समुदाय बड़े पैमाने पर मिज़ोरम में आकर बस गए हैं

प्रकृति की गोद में बसे मिज़ोरम में कई प्राकृतिक अजूबे शामिल हैं। इनमें पहाड़ियों से लेकर, नदियों और झीलों के जाल तंत्र, सर्पिलाकर घाटियाँ, तथा हरे-भरे मैदान शामिल हैं। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार मिज़ोरम की स्थलाकृति पूरी तरह से विकसित नहीं है। इसके प्राकृतिक भूगोल में कई (मोटे तौर पर) उत्तर-दक्षिण की दिशा में श्रेणीबद्ध घाटियाँ, पहाड़ी शृंखलाओं के समांतर मौजूद छोटे-बड़े टीले, और उनसे सटी हुईं सँकरी घाटियाँ मौजूद हैं।

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फ़ौंगपुई त्लांग या नीला पर्वत, सूर्योदय के समय पर, जब ये विशाल पर्वत-शिखर सुंदर नीले रंग में डूब जाते हैं। छवि स्रोत : विकिमीडिया कॉमन्स

पूरे राज्य में अलग-अलग ऊँचाइयों की कुल 21 मुख्य पर्वत शृंखलाएँ और चोटियाँ मौजूद हैं। नीले पर्वत के नाम से जाना जाने वाला शानदार फ़ौंगपुई त्लांग राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। 2157 मीटर की ऊँचाई वाली यह चोटी राज्य में सबसे ऊँची है। लौंगत्लाइ ज़िले में स्थित फ़ौंगपुई शानदार मिज़ो पर्वत शृंखलाओं का एक भाग है। इस चोटी से चिंतुईपुई नदी और पड़ोसी राज्य, म्यान्मार की सीमा पर खड़ीं पहाड़ी शृंखलाएँ भी देखी जा सकती हैं। यह चोटी उत्तर-दक्षिण दिशा में खड़ी है, और 10 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है। इसके पश्चिमी ओर पर भव्य अर्धचंद्राकार चट्टानें हैं। यह संपूर्ण अत्यंत मनोहर क्षेत्र त्लाज़ुआंग खाम कहलाता है। इस चोटी पर मौजूद खड़ी चट्टानों, गहरी दरारों, और ढलानों के कारण यह स्थान पहाड़ी बकरियों के निवास के लिए उपयुक्त है।

फ़ौंगपुई चोटी की ओर यहाँ के लोगों के मन में बहुत श्रद्धा है। पड़ोसी क्षेत्रों के निवासियों का यह मानना है कि यह कई स्थानीय देवताओं का घर है। फ़ौंगपुई आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है। यह लोक धर्म का एक महत्त्वपूर्ण स्थल है, जिसके परिणामस्वरूप इससे जुड़ी लोककथाओं का एक भंडार मौजूद है। ऐसी ही एक लोककथा संगऊ नामक देवता-राजा के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। इस कथा में संगऊ के पुत्र की चेरियन राजकुमारी से सगाई के दौरान शाही परिवारों तथा संगऊ और चेरियन के गाँवों के बीच हुए उपहारों के विनिमय का भी पता चलता है।

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फ़ौंगपुई राष्ट्रीय उद्यान। छवि स्रोत : विकिमीडिया कॉमन्स

वर्ष 1992 से केंद्रीय और मिज़ोरम राज्य सरकारों ने फ़ौंगपुई की प्राकृतिक धरोहर को बचाने के लिए एक साथ प्रयास किए हैं। इस चोटी पर वनस्पति और जीव-जंतुओं की विविधता को देखते हुए इसे एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया है। यह राष्ट्रीय उद्यान वर्तमान में लगभग 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। मिज़ोरम में दो राष्ट्रीय उद्यान हैं और यह उन्हीं में से एक है। नवंबर और अप्रैल के बीच मिज़ोरम सरकार पर्यटकों को यहाँ पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन करने की अनुमति देती है। दुर्गम मार्ग से फ़ौंगपुई चोटी की पैदल यात्रा करना पदयात्रियों और साहसिक गतिविधियों में रुचि रखने वालों को विशेष रूप से रोमांचित करता है।

फ़ौंगपुई घने बाँस के जंगलों से ढका हुआ है और पहाड़ को घेरने वाली संपूर्ण घाटियों में मनोहर ऑर्किड तथा आकर्षक रोडोडेंड्रोन उगते हैं। फ़ौंगपुई में वनस्पति और जीव-जंतुओं की विविधता देखी जा सकती है, जिनमें गोरल से लेकर पंखदार सूर्यपक्षी, शिकरा, और भौंकने वाला मृग शामिल हैं। अन्य वन्य जीवों में दुर्लभ ब्लाइथ ट्रैगोपैन, धारीदार पूँछ वाला तीतर, और गहरे रंग के पुट्ठे वाला स्विफ़्ट, तथा गंभीर रूप से विलुप्तप्राय स्तनधारी प्राणी पाए जाते हैं, जिनमें धीमा लोरिस, बाघ, तेंदुए, चीता बिल्लियाँ, सरावों, एशियाई काला भालू, कैप्ड लंगूर, और ठूँठ पूँछ वाले मैकाक बंदर शामिल हैं।

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फ़ौंगपुई फ़रपाक, पहाड़ के तल पर फैले हुए घास के मैदान। छवि स्रोत : विकिमीडिया कॉमन्स

फ़ौंगपुई की तलहटी घास के मैदानों से भरी हुई है। इसका नाम ‘फ़रपाक’ है, जिसका शब्दशः अर्थ “केवल देवदार” है। इन मैदानों में कभी-कभी अलग-अलग पक्षी, तितलियाँ, और जंगली रंगीन ऑर्किड दिख जाते हैं। फ़ौंगपुई त्लांग में प्राकृतिक विविधता की प्रचुरता और इसके पारिस्थितिक तंत्र की प्राचीनता के कारण यह मिज़ोरम के लोगों के लिए एक पावन और प्रख्यात प्राकृतिक धरोहर है, तथा साथ-ही-साथ यह भारतीयों के लिए एक परमावश्यक पारिस्थितिक संपत्ति भी है।