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उज्जयंता महल : त्रिपुरा के राजाओं का शाही आवास

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उज्जयंता महल, अगरतला। छवि स्रोत : विकिमीडिया कॉमन्स

त्रिपुरी का उज्जयंता महल या ‘नुयुंगमा’, त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के केंद्र में स्थित एक भव्य इमारत है। वर्तमान में यहाँ राज्य संग्रहालय और राज्य अभिलेखागार स्थित हैं l एक समय पर, यह त्रिपुरा के अंतिम राजाओं का निवास स्थल हुआ करता था। अब पर्यटकों को आकर्षित करती सफ़ेद रंग की यह अद्भुत संरचना, इसके पूर्व मालिकों, माणिक्यों की सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति है।

‘राजमाला’ (त्रिपुरा के राजाओं का इतिहास) के अनुसार, माणिक्य राजाओं का वंश महाभारत काल से चला आ रहा हैl इन पौराणिक राजाओं के वंशज, उज्जयंता महल का एक शाही निवास के रूप में इस्तेमाल करते थे l

जहाँ यह वर्तमान संरचना खड़ी है, राजा ईशान चंद्र माणिक्य ने 1862 में वहाँ से लगभग 10 किमी दूर एक महल बनवाया था l 1897 के असम भूकंप के दौरान इस संरचना को अपूरणीय क्षति पहुँची, जिससे वह रहने योग्य नहीं रहा l इसलिए, राजा राधा किशोर माणिक्य देबबर्मा के संरक्षण में, उज्जयंता महल का पुनर्निर्माण 1899 में शुरू हुआ और यह कार्य दो साल में पूरा हुआ। राजा राधा किशोर ने अपने प्रिय मित्र, नोबेल पुरस्कार विजेता, रवींद्रनाथ टैगोर को महल का नामकरण करने का सम्मान दिया था। इसके बाद, उज्जयंता महल में ‘जुबराजी’ (राजा के उत्तराधिकारी की घोषणा का समारोह) जैसे शाही समारोहों की मेज़बानी होने लगी l

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हरे-भरे बगीचे उज्जयंता महल के प्रवेश द्वार की दोनों ओर स्थित हैं। छवि स्रोत : विकिमीडिया कॉमन्स

उज्जयंता महल 250 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ हैl इसे कोलकाता स्थित व्यवसाय, एम/एस मार्टिन एंड कंपनी के वास्तुकार, अलेक्ज़ेंडर मार्टिन ने डिज़ाइन किया था। धन की कमी के कारण, इसके निर्माण पर खर्च किए गए 10 लाख रुपये, रवींद्रनाथ टैगोर की मदद से, बंगाल बैंक से ऋण पर लिए गए थे। इसके अतिरिक्त, एम/एस मार्टिन एंड कंपनी ने अपने शाही ग्राहकों के लिए अगरतला से लगभग 50 किलोमीटर दूर, सिपाहीजला ज़िले के मेलाघर में, नीरमहल नामक एक ग्रीष्मकालीन आवास का निर्माण भी किया था।

उज्जयंता महल की स्थापत्य शैली नव-शास्त्रीय है। यह एक दो मंज़िली इमारत है, जिसमें शाही परिवार के लिए सिंहासन कक्ष, दरबार कक्ष, पुस्तकालय, स्वागत कक्ष, और आवासीय कक्ष बनाए गए हैं। इसकी उत्कृष्ट नक्काशीदार लकड़ी की छत और दरवाज़े, टाइलों वाले फ़र्श, तीन बड़े गुंबद, मुगल वास्तुकला से प्रेरित उद्यान, और दो कृत्रिम झीलें इसके रूमानी आकर्षण को और बढ़ा देते हैं। महल के परिसर में लक्ष्मी नारायण, उमा-महेश्वर, देवी दुर्गा, और भगवान जगन्नाथ को समर्पित मंदिर भी बनवाए गए हैं।

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रात के समय में उज्जयंता महल। छवि स्रोत : विकिमीडिया कॉमन्स

1972-73 में, जब त्रिपुरा को राज्य का दर्जा मिला, तब उज्जयंता महल को त्रिपुरा की राज्य सरकार ने खरीद लिया। यह 2011 तक राज्य की विधान सभा के रूप में प्रयोग किया जाता रहा। वर्तमान में, यहाँ राज्य संग्रहालय और राज्य अभिलेखागार स्थित हैं।

त्रिपुरा राज्य संग्रहालय उत्तर-पूर्व भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय है और यहाँ बड़ी संख्या में लोग आते हैं। संग्रहालय के संग्रह में त्रिपुरा पर शासन करने वाले राजवंशों के सिक्के, मूर्तियाँ, कला, वस्त्र, शिल्प, और ऐसी कई अन्य कलाकृतियाँ शामिल हैं, जो त्रिपुरा और पूर्वोत्तर भारत के इतिहास और सांस्कृतिक विविधता को उजागर करती हैं। इसमें त्रिपुरा के राजाओं के रूपचित्रों वाली एक कला दीर्घा भी है, जो इस प्रदेश के शाही इतिहास को दर्शती है।

इसके गौरवशाली अतीत को दर्शाती महाराजा राधा किशोर माणिक्य देबबर्मा की एक प्रतिमा, महल के सैरगाह में शान से खड़ी हैl यह महल, कुंजबन महल के पास स्थित है, जहाँ रवींद्रनाथ टैगोर 1926 में अपनी यात्रा के दौरान रुके थे। आज, कुंजबन महल त्रिपुरा का राजभवन या राज्यपाल का आधिकारिक निवास है।

एक सत्ता के केंद्र के रूप में उज्जयंता महल का इतिहास और वर्तमान में राज्य संग्रहालय और अभिलेखागार के रूप में इसका दर्जा, त्रिपुरा के इतिहास में इस महल के महत्व को दर्शाता है। उज्जयंता महल को एक धरोहर इमारत का दर्जा हासिल है, और यह अपने पूर्व निवासियों और उनकी प्रजा की विरासत का प्रतीक हैl