Sorry, you need to enable JavaScript to visit this website.

ढोलक

Type: अवनद्ध वाद्य

ढोलक कपास, धातु, इस्पात, शीशम की लकड़ी, बकरी की खाल, आम की लकड़ी, भैंस के चमड़े, और स्याही से बना एक ताल वाद्य यंत्र है। यह लोक वाद्य यंत्र उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में पाया जाता है। ढोलक को तीन प्रकार से बजाया जा सकता है: वादक की गोद में रख कर, खड़े होकर, और ज़मीन पर बैठकर वादक द्वारा अपने एक घुटने के नीचे दबाकर।



उत्तर प्रदेश में ढोलक

Material: कपास, धातु, इस्पात, बकरी की खाल, भैंस का चमड़ा, शीशम की लकड़ी, आम की लकड़ी, स्याही

दो सिरों वाला हाथ ढोल, ढोलक एक लोक ताल वाद्य यंत्र है। इसकी लंबाई लगभग 45 सेमी. और चौड़ाई लगभग 27 सेमी. होती है तथा यह व्यापक रूप से क़व्वाली, कीर्तन, लावणी, और भांगड़ा में उपयोग किया जाता है। ढोलक का छोटा पृष्ठ तीव्र स्वर के लिए बकरी की खाल से बना होता है और बड़ा पृष्ठ मंद्र स्वर के लिए भैंस के चमड़े से बना होता है। यह लयबद्ध उच्च और निम्न नाद स्वरमानों के साथ मंद्र और तीक्ष्ण स्वरों के संयोजन की अनुमति देता है। ढोलक का खोल शीशम या आम की लकड़ी से बना होता है। इसमें लगी झिल्ली पर एक यौगिक स्याही होती है जो नाद स्वरमान को कम करने और ध्वनि उत्पन्न करने में मदद करती है। इस सिरे को बाएँ हाथ से बजाया जाता है जो एक उच्च नाद स्वरमान उत्पन्न करता है। कपास की रस्सी से बनी बद्धी और पेंचदार बंधनछड़ चाबी (स्क्रू-टर्नबकल) का उपयोग बजाते समय वाद्य यंत्र पर तनाव को कम करने के लिए किया जाता है। सही स्वर संस्वरण प्राप्त करने के लिए इस्पात के छल्लों/खूँटियों को बद्धियों के अंदर घुमाया जाता है। ढोलक को तीन प्रकार से बजाया जा सकता है: वादक की गोद में रखकर, खड़े होकर, और ज़मीन पर बैठकर वादक द्वारा अपने एक घुटने के नीचे दबाकर।

बिहार में ढोलक

Material: कपास, धातु, इस्पात, बकरी की खाल, भैंस का चमड़ा, शीशम की लकड़ी, आम की लकड़ी, स्याही

ढोलक बिहार का सबसे महत्वपूर्ण लोक संगीत वाद्य यंत्र है। यह दोपीठा ताल वाद्य यंत्र है, जिसे हाथों या छड़ियों से बजाया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति जिसे लय की समझ हो वो ढोलक बजा सकता है, किसी विशेष निपुणता की आवश्यकता नहीं होती है। ढोलक की लय राज्य की सभी लोक और गीत परंपराओं के साथ संगत के रूप में इन्हें ओज, ऊर्जा और आनंद का मूलतत्त्व प्रदान करती है।