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खंजरी

Type: अवनद्ध वाद्य

“खंजरी लकड़ी, पीतल, और पारदर्शी चर्मपत्र से बना एक ताल वाद्य यंत्र है। यह लोक वाद्य यंत्र राजस्थान और गुजरात में पाया जाता है। यह मुख्य रूप से राजस्थान में धार्मिक, पारंपरिक, और लोक संगीत में लयबद्ध संगत के लिए और गुजरात तथा आस-पास के इलाकों के लोक गायकों और लोक नर्तकों द्वारा उपयोग किया जाता है।”



राजस्थान में खंजरी

Material: लकड़ी, पारदर्शी चर्मपत्र

“एक डफली जैसा ढोल, जिसके एक सिरे पर लकड़ी की किनारी होती है जिस पर बहुत ही पतले पारदर्शी चर्मपत्र को खींच कर किनारों पर चिपकाया गया होता है। इसका दूसरा सिरा खुला होता है। यह पीले, काले और लाल रंग की पट्टियों से रंगा हुआ होता है। इसे बाएँ हाथ में पकड़ा जाता है और दाहिने हाथ की हथेली और अंगुलियों से बजाया जाता है। राजस्थान के भक्ति, लोक और पारंपरिक संगीत में लयबद्ध संगत के लिए इसका उपयोग किया जाता है।”

गुजरात में खंजरी

Material: लकड़ी, चर्मपत्र, पीतल

एक गोल लकड़ी का डफली जैसा ढोल जिसे एक तरफ से चमड़े से ढका जाता है। किनारों पर 13 जोड़ियाँ पीतल की बजने वाली थालियाँ कील से जड़ी जाती हैं। गुजरात और पड़ोसी क्षेत्रों के लोक गायकों और नर्तकों द्वारा उपयोग किया जाता है।

मध्य प्रदेश में खंजरी

Material: लकड़ी, चर्मपत्र

एक तरफ से खाल से ढका गोल डफली जैसा ढोल। बाएँ हाथ से पकड़कर दाएँ हाथ की उँगलियों और हथेलियों से पीटा जाता है। इसे मध्य प्रदेश की 'गोंड' जनजातियों द्वारा उपयोग किया जाता है।

केरल में खंजरी

Material: लकड़ी, मॉनिटर छिपकली की खाल

इसमें लकड़ी का गोल किनारा होता है। इसके एक पक्ष पर मॉनिटर छिपकली की खाल मढ़ी होती है और दूसरा पक्ष खुला होता है। यह भजन गायन और संगीत समारोहों में उपयोग किया जाता है। यह वाद्य यंत्र तुलनात्मक रूप से हाल ही में प्रसिद्ध हुआ है।