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ताशा

Type: अवनद्ध वाद्य

ताशा लकड़ी, धातु, पीतल, चमड़े, कपड़े और चर्मपत्र से बना एक ताल वाद्य यंत्र है। यह एक लोक वाद्य यंत्र है जो मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर तथा उत्तर भारत के अनेक हिस्सों में भी पाया जाता है। जम्मू और कश्मीर के लोक और पारंपरिक संगीत तथा नृत्य अनुक्रमों में मुख्यत: उपयोग किया जाता है।



उत्तर भारत में ताशा

Material: धातु, लकड़ी, काँसा, पीतल, चमड़ा, कपड़ा

शुष्क सिरे वाला एक उथला धात्विक कटोरा। एक बड़े ढोल के साथ जोड़े के रूप में सामूहिक प्रदर्शनों में एक द्वितीयक ढोल के रूप में उपयोग किया जाता है। यह जोड़ी, जिसे संयुक्त रूप से नक्कारा कहा जाता है, नौबत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्राचीन संगीत वाद्य यंत्र, नक्कारा लगभग २-३ फ़ीट ऊँचा होता है। इसका आकार तबला के 'बायाँ' के समान होता है। इसमें कटोरे के आकार का ढाँचा होता है। इसका सिरा चमड़े से बनता है, जिसे रोज्जू (कपड़े की पट्टियों) द्वारा कसकर स्थित किया जाता है। एक ताल वाद्य यंत्र, दो छड़ियों से बजाया जाता है। उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में हाथों से भी बजाया जाता है। भेरी और दुंदुभि जैसे अन्य ताल वाद्य यंत्र अलग प्रकार के नक्कारे हैं।

जम्मू और कश्मीर में ताशा

Material: चिकनी मिट्टी, चर्मपत्र, चमड़ा

एक उथला चिकनी मिट्टी का बर्तन। चौड़ा सिरा चर्म से ढका होता है, नीचे कुंडे से चमड़े की पट्टियों द्वारा बाँधा जाता है। बजाते समय, गर्दन से लटकाकर दो छड़ियों के साथ बजाया जाता है। जम्मू और कश्मीर के लोक और पारंपरिक संगीत तथा नृत्य अनुक्रमों में उपयोग किया जाता है।